नई दिल्ली: नीरव मोदी, मेहुल चोक्सी और विजय माल्या जैसे भगौड़े आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. अध्यादेश के दायरे में ऐसे आपराधिक मामले आएंगे जिसमें 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की रकम शामिल है. अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये अध्यादेश कानून के समान काम करने लगेगा.


इस अध्यादेश के जरिए आरोपियों को छह हफ्ते के भीतर भगौड़ा घोषित करना संभव हो सकेगा. साथ ही मुमकिन है कि आरोप साबित होने के पहले ही ऐसे भगौड़ों की संपत्ति जब्त करने और बेचने की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी. ध्यान रहे कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों से जुड़ा विधेयक संसद के बजट सत्र में पेश किया गया, लेकिन लगातार व्यवधान की वजह से ये पारित नहीं हो सका. इसी के मद्देनजर सरकार ने अध्यादेश लाने का फैसला किया.


पीएनबी घोटाले के बाद इस तरह के कानून को लेकर बहस तेज हुई. वैसे तो इस नए कानून के मसौदे को बीते साल मई में ही वित्त मंत्रालय ने तैयार कर लिया था जिसके बाद इस पर रायशुमारी की गयी और फिर विधेयक संसद में पेश किया गया. नए कानून के जरिए सख्ती के संकेत 23 फरवरी को देशी-विदेशी उद्योगपतियो के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में दे दिए थे. उन्होंने कहा था, “मैं स्पष्ट करना चाहूंगा, कि ये सरकार आर्थिक विषयों से संबंधित अनियमितताओं के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करेगी. जनता के पैसे का अनियमित अर्जन, इस सिस्टम को स्वीकार नहीं होगा. यही New Economy –New Rule का मूल मंत्र है.” प्रधानमंत्री के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी सख्ती के संकेत दिए और अब इसी का नतीजा नया अध्यादेश है.


अध्यादेश के तहत




  • प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए के तहत एक विशेष अदालत गठित किए जाने का प्रावधान है.

  • ऐसे विशेष अदालत में वही मामले लिए जाएंगे जिनमें से 100 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की रकम शामिल है. ऐसा इसीलिए किया गया है, ताकि विशेष अदालत में मुकदमों की भीड़ नहीं लगे.

  • यह अदालत बैंक या वित्तीय संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी करने जैसे मामलों में आरोपी को भगौडा घोषित करेगा.

  • एक भगौड़ा अपराधी वे है जिसके खिलाफ अधिसूचित अपराध के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है, लेकिन वो व्यक्ति मुकदमे से बचने के लिए देश से भाग चुका है. यही नहीं यदि ऐसा कोई व्यक्ति मुकदमे का सामना करने के लिए देश वापस लौटने से इनकार कर दे तो वह भी भगोड़े अपराधी की श्रेणी में आएगा.

  • भगौड़ा घोषित किए जाने के बाद उस व्यक्ति की देश में स्थित सारी संपत्ति सरकार के हाथों में आ जाएगी और इस पर किसी भी तरह की देनदारी नहीं होगी.

  • कोर्ट के आदेश पर ऐसा व्यक्ति या ऐसी कंपनी जिसमें उस व्यक्ति की बड़ी हिस्सेदारी है, वो प्रबंधन की भूमिका में है, उस संपत्ति पर दिवानी दावा नही ठोक सकेगा.

  • यदि भगौड़ व्यक्ति देश वापस आकर सरेंडर कर देता है तो ऐसी सूरत में प्रस्तावित कानून के बजाए प्रचलित कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.


भ्रष्ट्राचार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत भ्रष्ट्राचार के मामले में आरोप साबित किए बगैर संपत्ति जब्त करने की सिफारिश की गयी है. चूंकि भारत ने इस व्यवस्था को 2011 में मंजूरी दे दी थी, उसी को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित कानून में इस सुझाव को शामिल किया गया है. वित्त मंत्रालय की माने तो अध्यादेश के तहत व्यक्ति के कुछ अधिकारों को बनाए रखा गया है. मसलन, वकील के जरिए अपनी बात रखने का हक, जवाब देने के लिए वक्त, देश-विदेश में सम्मन जारी करना और हाई कोर्ट में अपील करना. यहां एक ऐडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने का प्रावधान है जो जब्त संपत्ति के बेचने और लेनदारों के पैसे वापस कराने में मदद करेगा.


मेहुल और नीरव अगर पंजाब नेशनल बैंक को साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रुपये का चूना लगाकर देश से फरार हो गए तो दिल्ली के सर्राफा व्यापारी ओरिएंटर बैंक ऑफ कॉमर्स से करीब 390 करोड़ रुपये लेकर फरार हैं. इसके पहले विजय माल्या पर भी करीब 9000 करोड़ रुपये की देनदारी बनती है. वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि कि नया कानून बनने के बाद कोई और माल्या, मेहुल या नीरव नहीं बनेगा.