Mission Mausam क्या है, जिससे मिलेगी एयर क्वालिटी, मानसून तक की सटीक सूचना, खर्च होंगे ₹2000 करोड़
Mission Mausam: केंद्र सरकार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम फैसलों पर मुहर लगाई है और मिशन मौसम पर भी हरी झंडी दिखा दी है. इसके जरिए मौसम की जानकारी देने में क्या बदलाव आएंगे- यहां जानें.
Cabinet Decision: कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को मिशन मौसम के बारे में जानकारी दी है. कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कहा कि मिशन मौसम को लॉन्च किया जा रहा है और केंद्रीय कैबिनेट ने इसके लिए अगले 2 सालों में 2000 करोड़ रुपये का आउटले (परिव्यय) करने का फैसला लिया है.
क्या है मिशन मौसम जो देगा मौसम की सटीक जानकारी
अश्विनी वैषण्व ने कहा कि मौसम की भविष्यवाणी करने में कई बदलाव आए हैं. इसमें नई टेक्नोलॉजी और सिस्टम के जरिए लोगों को समय से पहले वर्षा या अन्य मौसमी बदलावों के बारे में जानकारी पहले दी जा रही है. मूल रूप से एक्यूरेसी और ऊंचे रेसॉल्यूशन के साथ अगले कुछ सालों में मौसम की जानकारी को बिलकुल फूल-प्रूफ बनाने के लिए मिशन मौसम को लॉन्च किया जा रहा है.
इस स्कीम में 2000 करोड़ रुपये लगाए जाएंगे और डेटा मॉडलिंग, डेटा ड्रिवन टेक्नोलॉजी की मदद से एक्यूरेट जानकारी दी जा सकेगी. मिशन मौसम को एडवांस तरीके से लॉन्च किया जाएगा. इसके तहत न्यू जेनरेशन राडार और सैटेलाइट्स के जरिए सटीक और समय से पहले मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा.
सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हाई परफॉरमेंस कंप्यूटर्स और रिसर्च कोलाब्रेशन के जरिए मौसम की सटीक जानकारी जनता तक पहुंचाई जाएगी. इसके साथ ही इसे हम फोरकास्ट नहीं बल्कि नाउकास्ट के तहत माना करेंगे. नाउकास्ट का अर्थ है कि समय से काफी पहले और जल्दी मौसम संबंधित सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा.
मिशन मौसम की खास बातें जानें
- मिशन मौसम से एग्रीकल्चर, डिजाजस्टर मैनेजमेंट, डिफेंस, एविएशन, एनर्जी, जल संसाधन और टूरिज्म समेत कई सेक्टर को फायदा मिलने वाला है.
- इससे अर्बन प्लानिंग या शहरी नियोजन, ट्रांसपोर्टेशन और पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में फैसला लेने की क्षमता में भी सुधार आएगा.
- कैबिनेट ने 'मिशन मौसम' को मंजूरी दी है जिससे क्लाइमेंट चेंज के दौर में एनवायरमेंट फ्रेंडली सूचनाएं जल्द से जल्द भेजी जा सकेंगी.
- इसमें मानसून से लेकर एयर क्वालिटी, चक्रवातों और कोहरे, ओलावृष्टि और बारिश की घटनाओं के लिए समय से पहले जागरूकता देने जैसी जानकारी शामिल हैं .
- Geographic information system बेस्ड ऑटोमैटिक डिसीजन सपोर्टेड सिस्टम शामिल होंगे जिनके जरिए मौसम संबंधी उपाय और क्षमता निर्माण का इस्तेमाल किया जाएगा.
इनपुट पीटीआई से भी
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