16th Finance Commission Update: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 16वें वित्त आयोग (Finance Commission) के टर्म्स ऑफ रिफेरेंस (Terms of Reference) यानि शर्तों पर अपनी मुहर लगा दी है. सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी दी. उऩ्होंने बताया कि 16वें वित्त आयोग को अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी और एक अप्रैल 2026 से शुरू हो रहे नए वित्त 2026-27 से 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू हो जाएगीं. 


सूचना प्रसारण मंत्री ने बताया कि 16वें वित्त आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस में केंद्र और राज्य सरकार के बीच करों से प्राप्त होने वाली राशि का विभाजन तय किया जाना है. राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान का भी निर्धारण किया जाएगा. नगरपालिका और पंचायत की आय बढ़ाने को भी शर्तों में शामिल किया गया है. 16वां वित्त आयोग अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगा. और इसकी सिफारिशें एक अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2031 तक लागू रहेगा. 


एन के सिंह की अध्यक्षता वाली 15वें वित्त आयोग ने 14 वें वित्त आयोग के समान टैक्स से आय में 42 फीसदी राज्यों की हिस्सेदारी तय की थी जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकार भी कर लिया था. वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 के दौरान केंद्र सरकार टैक्स राजस्व में 42 फीसदी राज्यों दिए जाने का प्रावधान है. 


संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत स्थापित वित्त आयोग की जिम्मेदारियों में टैक्स के राजस्व का विभाजन से लेकर केंद्र तथा राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करना भी है. इसके अलावा उनके बीच टैक्स के बंटवारे की सिफारिश करना और राज्यों के बीच इन टैक्सों के वितरण का निर्धारण करने वाले सिद्धांतों भी वित्त आयोग तय करती है. 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों में राजकोषीय घाटा, केंद्र और राज्यों के लिए कर्ज घटाने की राह से लेकर बिजली क्षेत्र में सुधारों के आधार पर राज्यों के लिए अतिरिक्त लोन लेने का प्रावधान किया गया था. 


केंद्र सरकार ने 16वें वित्त आयोग के लिए टर्म्स ऑफ रेफरेंस की घोषणा तो कर दी. लेकिन ये माना जा रहा है कि जल्द 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी. वित्त आयोग को अपनी सिफारिशों को सौंपने के लिए 2 साल का समय दिया जाता है. 


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