Maternity Rules: नौकरी रेगुलर या कॉन्ट्रैक्चुअल, हर महिला कर्मचारियों को मिलेगी मैटरनिटी लीव
High Court on Maternity Leave: कलकत्ता हाई कोर्ट में आरबीआई और उसके एक एक्जीक्यूटिव इंटर्न की मैटरनिटी लीव से जुड़े मामले पर सोमवार को सुनवाई हो रही थी...
बैंकिंग रेगुलेटर आरबीआई को कर्मचारियों की छुट्टियों (लीव) को लेकर हाई कोर्ट से नसीहत मिली है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक एम्पलॉई की छुट्टी से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए आरबीआई को नसीहत दी कि मैटरनिटी लीव हर महिला कर्मचारियों का अधिकार है, चाहे वे रेगुलर हों या कॉन्ट्रैक्चुअल.
मैटरनिटी लीव से मना नहीं कर सकते एम्पलॉयर
दरअसल एक मामले में आरबीआई ने एक महिला इंटर्न को मैटरनिटी लीव देने इनकार कर दिया था. महिला इंटर्न को कहा गया था कि उसके तीन साल के कॉन्ट्रैक्ट में मैटरनिटी लीव जैसा कोई प्रावधान नहीं है. कलकत्ता हाई कोर्ट में इसी मामले को लेकर सोमवार 26 फरवरी को सुनवाई हो रही थी. हाई कोर्ट ने कहा कि कोई भी नियोक्ता (एम्पलॉयर) किसी महिला कर्मचारी को बच्चे पैदा करने के उसके अधिकार से वंचित नहीं कर सकता है और इस तरह उसे मैटरनिटी लीव लेने से नहीं रोक सकता है.
हर तरह के कर्मचारी को मिलेगा लाभ
हाई कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि चाहे महिला कर्मचारी की नौकरी रेगुलर हो या वह कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रही हो, मैटरनिटी लीव का जिक्र उसके कॉन्ट्रैक्ट में किया गया हो या इसे लेकर कोई प्रावधान नहीं हो, एम्पलॉयर किसी भी सूरत में महिला कर्मचारी को मैटरनिटी लीव देने से मना नहीं कर सकता है. संबंधित मामले को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने आरबीआई को कहा कि वह उस भुक्तभोगी एक्जीक्यूटिव इंटर्न को कंपनसेट करे यानी उस कर्मचारी को हुई दिक्कत के बदले मुआवजा दे, जिसे मैटरनिटी लीव से मना कर दिया गया था.
हाई कोर्ट ने बताया मौलिक अधिकारों का हनन
रिजर्व बैंक ने तर्क दिया था कि सिर्फ रेगुलर महिला एम्पलॉई ही मैटरनिटी लीव का लाभ उठा सकती हैं. हाई कोर्ट ने इस तर्क को दरकिनार करते हुए कहा कि संविधान का आर्टिकल 14 हर किसी को बराबरी का अधिकार देता है. रिजर्व बैंक के द्वारा मैटरनिटी लीव देने से मना करना वास्तव में भेदभाव है और किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन है.
एक दशक पुराना है मामला
यह मामला करीब एक दशक पुराना है. नीता कुमारी नाम की एक महिला ने 2011 में रिजर्व बैंक की एक एक्जीक्यूटिव इंटर्न के तौर पर नौकरी शुरू की थी. उसने 2013 में प्रेगनेंसी के दौरान मैटरनिटी लीव की मांग की थी, जिसके लिए उसे मना कर दिया गया था. नीता ने मैटरनिटी लीव से मना किए जाने पर केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
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