Hybrid Cars: देश में इलेक्ट्रिक कारों को लेकर लोगों की रुचि बढ़ती जा रही है पर इनकी ऊंची कीमतों के चलते फिलहाल ये आम जनता के लिए नंबर वन चॉइस नहीं बन पा रही हैं. हालांकि देश में इलेक्ट्रिक कारों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए जा रहे हैं. 


एक और बात ध्यान रखने वाली है कि आजकल हाईब्रिड कारों उनमें भी मिडसाइज हाईब्रिड कारों के सेगमेंट पर कारमेकर्स का फोकस बढ़ रहा है. इन कारों के लिए लोगों में भी रुचि बढ़ रही है और ये कारें ऑटोमोबाइल मैन्यूफेक्चरर्स के लिए भी फायदे का सौदा साबित हो रही हैं.


मारुति सुजुकी के नए एमडी और सीईओ हिसाची ताकेयुकी का कहना है कि हाईब्रिड टेक्नोलॉजी के साथ सबसे अच्छी बात ये है कि इनके लिए अलग से चार्जिंग स्टेशन की जरूरत नहीं होती और ये कार्बन एमिशन भी कम करते हैं. इनके लिए अलग से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने की जरूरत नहीं होती है और ये कम खर्च में तैयार हो जाती हैं.


फिलहाल इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए देश में पूरा मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाने की जरूरत है और इसके लिए कंपनियों और राज्यों में अलग-अलग सरकारों को भी प्रयास करने होंगे. वित्त वर्ष 2021-22 में देश में केवल 17,802 इलेक्ट्रिक कारें बेची गई हैं जिनमें से ज्यादातर बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी बीईवी रहे हैं. वहीं इनके मुकाबले पैसेंजर्स कार्स को देखें तो इस दौरान इनका बिक्री का आंकड़ा 27.26 लाख रहा जो इलेक्ट्रिक व्हीकल के मुकाबले बहुत ज्यादा है. 


मौजूदा इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए यहां बताई गई चार कैटेगरी अहम हैं



  • बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल (BEV)

  • हाईब्रिड इलेक्ट्रिक व्हील (HEV)

  • प्लग-इन हाईब्रिड व्हीकल (PHEV)

  • फ्यूल सेल व्हीकल (FCV)


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