60 घंटे...70 घंटे...80 घंटे...90 घंटे तक हफ्ते में काम करने के बहस के बीच देश को आगे बढ़ाने के लिए स्टाफ से कंपनी के प्रति अधिक से अधिक समर्पण की बात की जा रही है. वहीं दूसरी ओर Gen Z हैं, जिनका नौकरी और करियर के प्रति नजरिया ही बिल्कुल अलग है. नौकरी और करियर उनके लिए अलग-अलग तरह की आजादी के मायने हैं. इसलिए Gen Z को करियर में कैटफिशिंग का रास्ता बहुत पसंद आता है. 27 साल के कम उम्र के युवाओं की कैटफिशिंग से कंपनियां परेशान हैं. लेकिन Gen Z हैं कि कैटफिशिंग को छोड़ना नहीं चाहते हैं.


कैटफिशिंग को ऐसे समझिए तो बेहतर है


मान लीजिए कि किसी इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी में किसी क्लायंट के साथ बड़ी डील की बात फाइनल करनी थी. जो स्टाफ इस मामले में की पर्सन या इंस्ट्रूमेंटल था, वह उस दिन अचानक गायब हो जाता है. दो-तीन घंटे उसका इंतजार किया जाता है कि कहीं वह किसी दूसरे काम में फंस जाने के कारण लेट से आए. हारकर उसके सीनियर फोन करते हैं तो पता चलता है कि उसने आज दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली है.


सीनियर के पैरों तले जमीन खिसक जाती है. क्योंकि उस स्टाफ ने उस क्लायंट से अच्छे रिलेशन बना लिए थे. अब दूसरे स्टाफ को उस क्लायंट को डील करने में थोड़ा वक्त लगेगा. यही कैटफिशिंग है. इसे उस टेंडेसी के रूप में लिया जाता है, जिसमें युवा नौकरी बदलने के पहले दिन अपनी पहले वाली कंपनी को खबर किए बिना ही गायब हो जाते हैं.


युवा क्यों करते हैं कैटफिशिंग


लाख टके का सवाल यह है कि आखिर युवा कैटफिशिंग क्यों करते हैं. लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, एक स्टडी में पाया गया कि जॉब हंटिंग में होने वाली निराशा, कई-कई बार के इंटरव्यू प्रोसेस और हायरिंग मैनेजर की ओर से होने वाली देरी से ऊबकर युवा इस तरह के कदम उठाते हैं. सीवी जीनियस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जेन Z स्टाफ का लक्ष्य पावर डायनेमिक्स को अपने पक्ष में करना होता है. केवल जेन Z ही नहीं बल्कि 28 से 43 साल के मिलेनियल्स इसमें 24 फीसदी पार्टिसिपेट करते हैं. 44 से 59 साल के बीच के जेन एक्स स्टाफ इसमें 11 फीसदी और 60 साल और उससे ऊपर के बेबी बूमर्स इसमें सात फीसदी शामिल हैं.


ये भी पढ़ें: Ola Electric Stock: ओला इलेक्ट्रिक के लिए आई बुरी खबर, CCPA ने भेज दिया तीसरा नोटिस, शेयरों पर दिख सकता है असर