नई दिल्लीः अगर आप इनकम टैक्स देते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. इनकम टैक्सपेयर्स के लिए एक सर्कुलर जारी किया गया है. इसके तहत कहा गया है कि अगर एंप्लाई नए टैक्स सिस्टम के तहत अपना इनकम टैक्स भरना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें पहले अपने एंप्लॉयर को जानकारी देनी होगी.


सीबीडीटी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज) ने एक सर्कुलर जारी किया है और इसके तहत आयकर विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि जो लोग नई टैक्स व्यवस्था के तहत अपना आय़कर भरना चाहते हैं उन्हें पहले अपने नियोक्ता को इसकी जानकारी देनी होगी जिससे वो एंप्लॉई की सैलरी पेमेंट के दौरान उनके टीडीएस (टैक्स) की कटौती कर सकें.


क्यों आई है नई टैक्स व्यवस्था
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2020-21 के बजट में वैकल्पिक टैक्स सिस्टम लाने का एलान किया था. इसके बाद ये कहा गया था कि टैक्सपेयर अपनी सुविधा के मुताबिक नई या पुरानी टैक्स व्यवस्था में से कोई एक टैक्स सिस्टम चुन सकते हैं.


सीबीडीटी का सर्कुलर
इसके सर्कुलर के मुताबिक कर्मचारी अगर नए टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स देना चाहते हैं तो इसके लिए अपने एंप्लॉयर या टैक्स डिडक्शन करने वाली बॉडी को पहले ही जानकारी मुहैया करा दें. टैक्स काटने वाले को आयकर कानून की धारा 115 BAC के तहत कर्मचारियों के टैक्स की गणना करनी होगी और उसके आधार पर टीडीएस (टैक्स डिडक्टड एट सोर्स) काटना होगा. वहीं अगर कोई कर्मचारी नई टैक्स व्यवस्था को अपनाता है लेकिन अपने एंप्लॉयर या नियोक्ता के अलावा टैक्स डिडक्टर को इसकी जानकारी नहीं देता है तो वो इनकम टैक्स कानून के तहत आने वाले सेक्शन 115 BAC के बिना ही टीडीएस काटेंगे.


क्या अंतर है नए और पुराने टैक्स सिस्टम में
पुराने टैक्स सिस्टम में 2.5 लाख रुपये तक सालाना इनकम टैक्स फ्री है तो 2.5 से 5 लाख तक की इनकम पर 5 फीसदी टैक्स लगता है. 5 से 10 लाख की इनकम पर 20 फीसदी टैक्स, 10 लाख से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होता . हालांकि इस टैक्स सिस्टम को अपनाने पर टैक्सपेयर को एचआरए, 80 के तहत किए गए निवेश, होम लोन के ब्याज पर छूट सहित कई रियायतों का विकल्प मिलता है.


नए टैक्स सिस्टम में क्या है नया
इसमें टैक्स की दरें देखें तो 2.5 लाख तक कोई टैक्स नहीं. 2.5 लाख से 5 लाख तक 5 फीसदी, 5 से 7.5 लाख तक इनकम वालों को 10 फीसदी, 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक वालों को 15 फीसदी, 10 से 12.5 लाख वालों को 20 फीसदी, 12.5 से 15 लाख वालों को 25 फीसदी और 15 लाख से ज्यादा आमदनी वालों को 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. हालांकि नए टैक्स सिस्टम में टैक्सपेयर के लिए टैक्स की दरें तो कम होंगी लेकिन एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस), होम लोन पर ब्याज, जीवन बीमा में निवेश सहित कई दूसरी छूट जैसे सेक्शन 80C, 80D और 80CCD के तहत मिलने वाली कर छूट का फायदा नहीं मिल पाएगा.


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