GST Rules: टैक्सपेयर्स को खुशखबरी, जीएसटी डिमांड ऑर्डर पर कसी गई नकेल, अधिकारी कर रहे थे दुरुपयोग
GST Demand Order: सीबीआईसी ने सर्कुलर जारी करते हुए बताया कि टैक्सपेयर्स पर अनावश्यक दबाव बनाने के लिए जीएसटी डिमांड ऑर्डर का इस्तेमाल किया जा रहा था. अब ऐसे आदेश जारी करने से पहले कारण बताना होगा.
GST Demand Order: जीएसटी डिमांड ऑर्डर से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है. कुछ जीएसटी फील्ड ऑफिसर्स द्वारा इस नियम का दुरुपयोग करने के चलते सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) ने नई गाइडलाइन्स जारी की हैं. इनके अनुसार, अब जीएसटी डिमांड ऑर्डर भेजने से पहले अधिकारियों की मंजूरी लेनी होगी.
तय समय से पहले पेमेंट मांगने का कारण बताना होगा
जीएसटी डिमांड ऑर्डर मिलने के बाद आपके पास इसके खिलाफ अपील करने या पेमेंट करने का ऑप्शन होता है. हालांकि, अगर जीएसटी अधिकारियों को लगता है कि इंट्रेस्ट ऑफ रेवेन्यू के लिए 3 महीने से पहले पेमेंट मांगना जरूरी है, तो वो ऐसा कर सकते हैं. सीबीआईसी को जानकारी प्राप्त हुई थी कि कुछ जीएसटी फील्ड ऑफिसर्स इस नियम का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके चलते कंपनियों को राहत देने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है. अब जीएसटी अधिकारियों को तय समय (3 महीने) से पहले पेमेंट मांगने का कारण बताना होगा.
टैक्सपेयर्स पर दबाव बनाने के लिए हो रहा था इस्तेमाल
सीबीआईसी द्वारा 30 मई को जारी किए गए सर्कुलर के अनुसार, टैक्सपेयर्स पर अनावश्यक दबाव बनाने के लिए जीएसटी डिमांड ऑर्डर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. अब फील्ड ऑफिसर्स को जीएसटी डिमांड रिकवरी प्रोसेस शुरू करने से पहले उच्च अधिकारियों को कारण बताना होगा. साथ ही इसकी मंजूरी भी लेनी होगी. इसके बाद प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर ऑफ सेंट्रल टैक्स इन कारणों की समीक्षा करेंगे. उनकी मंजूरी के बाद ही जीएसटी डिमांड ऑर्डर जारी किया जा सकेगा.
पर्याप्त कारण बताए बिना पेमेंट के लिया दिया 15 से 30 दिन का समय
कई मामलों में टैक्सपेयर्स को पेमेंट करने के लिए सिर्फ 15 से 30 दिन का समय ही दिया गया था. ऐसा आदेश जारी करते समय पर्याप्त कारण भी नहीं बताए जाते थे. सर्कुलर में इंट्रेस्ट ऑफ रेवेन्यू (Interest of Revenue) नियम का इस्तेमाल करने के कारणों को भी स्पष्ट किया गया है. इसके अनुसार, अगर निकट भविष्य में बिजनेस बंद होने की आशंका हो, डिफॉल्ट की गुंजाईश नजर आ रही हो या दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने की आशंका नजर आ रही हो तो यह कार्रवाई की जा सकती है. इन कारणों को आधार बनाकर ही भविष्य में इंट्रेस्ट ऑफ रेवेन्यू वाले जीएसटी डिमांड ऑर्डर जारी किए जा सकेंगे.
जीएसटी डिमांड ऑर्डर मिलने के बाद आपके पास होते हैं दो ऑप्शन
फिलहाल जीएसटी डिमांड ऑर्डर मिलने के बाद आपके पास दो ऑप्शन होते हैं. पहला इसे चैलेंज करने का या फिर आप पेमेंट कर सकते हैं. आपको सिर्फ 3 महीने का समय दिया जाता है. अपील करने पर आपको जीएसटी लॉ के अनुसार, प्री डिपॉजिट अमाउंट जमा करना होगा है. इसके बाद केस का निपटारा होने तक आपके खिलाफ वह जीएसटी डिमांड कायम रहेगी. अगर आपने 3 महीने तक अपील नहीं की तो जीएसटी अधिकारी आपके खिलाफ रिकवरी प्रोसेस शुरू कर सकते हैं.
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