केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआईसी) ने जीएसटी बकाए की रिकवरी के लिए नए प्रावधानों को जारी किया है. ये प्रावधान तब तक के लिए हैं, जब तक कि जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण काम नहीं करने लग जाता है. नए प्रावधानों के जारी होने से टैक्सपेयर्स को सहूलियत होने वाली है.


सीबीआईसी ने जारी किया ताजा सर्कुलर


सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडाइरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (सीबीआईसी) ने जीएसटी बकाए के नए प्रावधानों को लेकर गुरुवार को सर्कुलर जारी किया. सर्कुलर के अनुसार, जब तक गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (जीएसटीएटी) फंक्शनल नहीं हो जाता है, इन प्रावधानों के जरिए काम होगा. अभी टैक्सपेयर टैक्स की रिकवरी की प्रक्रिया से बचने के लिए अपनी इलेक्ट्रॉनिक लायबिलिटी रजिस्टर के जरिए प्री-डिपॉजिट अमाउंट का भुगतान कर सकते हैं और न्यायाधिकार क्षेत्र के हिसाब से उचित अधिकारी के समक्ष अंडरटेकिंग फाइल कर सकते हैं.


जीएसटी कॉमन पोर्टल पर दी गई सुविधा


सीबीआईसी ने यह सर्कुलर टैक्सपेयर को ट्रिब्यूनल के फंक्शनल होने तक रिकवरी की गैर-जरूरी प्रक्रिया से बचाने के लिए जारी किया है. सर्कुलर के अनुसार, जीएसटी के कॉमन पोर्टल पर फॉर्म जीएसटी डीआरसी-03 के जरिए भुगतान को एडजस्ट करने की एक नई व्यवस्था शुरू की गई है, जो प्री-डिपॉजिट की जरूरतों के लिए है.


अंडरटेकिंग में बतानी होगी ये बात


टैक्सपेयर इस नई सुविधा के तहत भुगतान कर सकते हैं. उसके बाद वे संबंधित अधिकारी को भुगतान की जानकारी दे सकते हैं, जो रिकवरी की प्रक्रिया को देर करेंगे यानी टालेंगे. टैक्सपेयर को अंडरटेकिंग में ये भी बताना होगा कि वह संबंधित बकाया ऑर्डर के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करेगा. अपील जीएसटीएटी के फंक्शनल होते ही सीजीएसटी एक्ट के सेक्शन 112 में बताई गई समयावधि के अंदर फाइल की जाएगी.


जून में टैक्सपेयर्स को मिली थी ये राहत


इससे पहले सीबीआईसी ने जून महीने में टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए कहा था कि टैक्स अधिकारी डिमांड ऑर्डर सर्व करने के तीन महीने के समय से पहले रिकवरी की प्रक्रिया को शुरू नहीं कर सकते हैं. तब सीबीआईसी ने कहा था कि अगर डिमांड ऑर्डर सर्व करने के तीन महीने बाद भी टैक्सपेयर बकाए का भुगतान नहीं करे, टैक्स ऑफिसर सिर्फ तभी रिकवरी की प्रक्रिया को शुरू कर सकते हैं.


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