Cement Sector Outlook: भारत में लोगों के लिए अपना घर होना एक ऐसा सपना है जिसे पूरा करने के लिए वो अपनी जीवन भर की पूंजी लगाने के लिए तैयार रहते हैं. देश में घर बनाने के लिए कंस्ट्रक्शन में लगने वाली सबसे जरूरी चीजों मे से एक प्रोडक्ट है सीमेंट. इसी सीमेंट सेक्टर के बारे में आज हम जानने वाले हैं कि आखिरकार कंस्ट्रक्शन वर्क में इस्तेमाल होने वाला ये प्रोडक्ट हमेशा अपनी कीमतों में उतार-चढ़ाव के दौर से क्यों गुजरता रहता है और कंस्ट्रक्शन की लागत में अंतर आता रहता है.
अल्ट्राटेक सीमेंट को लेकर बड़ी खबर आई
अल्ट्राटेक सीमेंट ने 169.79 करोड़ रुपये में बर्नपुर सीमेंट की सीमेंट ग्राइंडिंग ऐसेट का अधिग्रहण कर लिया है और ये खबर कल ही आई है. रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा गया है कि भारत में कंपनी की क्षमता अब 133 एमटीपीए है.
आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड ने बुधवार को कहा कि उसने झारखंड में बर्नपुर सीमेंट लिमिटेड के सीमेंट ग्राइंडिंग ऐसेट्स को 169.79 करोड़ रुपये में हासिल कर लिया है. अल्ट्राटेक सीमेंट ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि कंपनी ने झारखंड के पतरातू में बर्नपुर सीमेंट लिमिटेड की 0.54 एमटीपीए सीमेंट ग्राइंडिंग प्रॉपर्टी का अधिग्रहण कर लिया है. झारखंड में अल्ट्राटेक सीमेंट की एंट्री का प्रतीक ये इंवेस्टमेंट राज्य में कंपनी के लिए नए कारोबारी दरवाजे खोलने वाला साबित हो सकता है.
सीमेंट सेक्टर में हो रहा है कंसोलिडेशन- क्या है इसका मतलब
सीमेंट सेक्टर में देखा जा रहा है कि तेजी से हो रहे अधिग्रहणों की बदौलत सीमेंट क्षेत्र में बड़े प्लेयर और बड़े हो गए हैं. वहीं छोटी सीमेंट कंपनियां को ऊंचे लोन या कम प्रॉफिटेबिलिटी की वजह से मुकाबला करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि ये छोटी कंपनियां धीरे धीरे शायद बाजार से बाहर निकल जाएं क्योंकि इनके लिए प्रतिस्पर्धा में बने रहना लगातार मुश्किल होता जा रहा है. इसकी वजह से सीमेंट सेक्टर में कंसोलिडेशन की स्थिति में और बढ़ोतरी ही देखी जाएगी जो कि पिछले कुछ समय से देखी जा रही है.
मजबूत बैलेंस शीट वाली बड़ी सीमेंट कंपनियां अपने मर्जर एंड एक्वीजिशन डेवलपमेंट मॉडल के जरिए लगातार अपनी बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाने या बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं और इसका असर छोटी कंपनियों के ऊपर आ रहा है. कल अल्ट्राटेक सीमेंट के बर्नपुर सीमेंट के ऐसेट को खरीदने की खबर इसी मॉडल का एक उदाहरण है. इतना ही नहीं खबरें ऐसी भी हैं कि अल्ट्राटेक सीमेंट जल्द ही केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड का भी अधिग्रहण करने वाली है. केसोराम इंडस्ट्रीज की वेबसाइट के मुताबिक इसकी सीमेंट क्षमता 10.75 मिलियन टन सालाना (एमटीपीए) है.
सीमेंट सेक्टर में देखी जा रही है हलचल
हाल की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक देश के सीमेंट सेक्टर की चार कंपनियों अल्ट्राटेक, अंबुजा सीमेंट्स प्लस एसीसी, श्री सीमेंट और डालमिया भारत की कुल मिलाकर बाजार हिस्सेदारी में जोरदार इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2013 में ये जॉइंट संख्या लगभग 53 फीसदी पर थी जो कि वित्त वर्ष 2017 तक लगभग 58 फीसदी (लाइवमिंट से मिला डेटा) पर आ गई है.
सीमेंट सेक्टर में दिखेगा जोरदार बदलाव
देश के सीमेंट सेक्टर की चारों बड़ी कंपनियां वित्त वर्ष 2024-27 में अपनी क्षमता में 70 फीसदी से ज्यादा जोड़ने की योजना बना रही हैं. माना जा रहा है कि इसके बाद वित्त वर्ष 2027 तक इनकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 65 फीसदी तक होने की संभावना है. छोटी कंपनियों के लिए बाजार में जगह बनाए रखना कठिन होगा और सीमेंट मार्केट की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी.
कैसा होगा सीमेंट सेक्टर पर इस बदलाव का असर
सीमेंट सेक्टर में हो रहा बदलाव जिस स्पीड से हो रहा है वो इस सेगमेंट के प्रोडक्ट्स की कीमतों को तय करने के साथ साथ सीमेंट के दाम को तय करने के रुझानों पर भी असर पड़ेगा. भारत में लोग मानते हैं कि किसी भी घर का निर्माण 3 से 4 पीढ़ियों या उससे ज्यादा के लिए किया जाता है तो सीमेंट की क्वालिटी से समझौता नहीं करना चाहिए. सबसे अच्छी क्वालिटी के सीमेंट का चुनाव करना जरूरी है लिहाजा बड़ीससीमेंट कंपनियां और प्लेयर ही इसके लिए भरोसेमंद नाम हैं.
नवंबर में कम हुए हैं सीमेंट के दाम- क्या रही वजह
इस समय सपनों का घर बनवाने का सही मौका दिख रहा है. दो महीने में सीमेंट के दाम बढ़ने के बाद नवंबर में सीमेंट के दाम में गिरावट आई है. सितंबर और अक्टूबर इन दो महीनों में सीमेंट के भाव में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इसके पीछे कारण है कि दिल्ली-एनसीआर इलाके में निर्माण कार्यों मे अलग-अलग कारणों से गिरावट आई है और प्रदूषण की वजह से सरकार ने कंस्ट्रक्शन कार्यों पर रोक लगाई थी जिससे सीमेंट के दाम में गिरावट आई है.
इस समय कैसे हैं सीमेंट के दाम
50 किलो वाली सीमेंट की एक बोरी के लिए औसत भाव 382 रुपये है जो कि सितंबर महीने से 5 फीसदी ज्यादा है. जुलाई-सितंबर के दौरान भारत में मानसून सीजन रहने के कारण निर्माण कार्य कम होते हैं और सीमेंट की मांग कम होती है जिसका असर इसके दाम घटने के रूप में दिखता है. दक्षिण भारत में सीमेंट की कीमत सर्वाधिक उच्च स्तर 396 रुपये प्रति बोरी तक चले गए हैं और इसकी वजह है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव की वजह से निर्माण कार्यों पर कुछ प्रतिबंध रहे और यहां मांग घटी.
आगे कैसे रहेंगे दाम
सीमेंट सेक्टर के एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिसंबर के मध्य से इसकी बोरी के दाम बढ़ने लगेंगे. चूंकि अब चुनाव पूरे हो जाएंगे और दिल्ली में भी निर्माण गतिविधियों पर रोक को धीरे धीरे हटाया जा रहा है तो निश्चित रूप से सीमेंट की मांग में तेजी लौटेगी. इसके असर से सीमेंट के दाम ऊपर जाएंगे लिहाजा अगर आप घर बनाने के लिहाज से मौका देख रहे हैं तो ये सही समय है.
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