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Digital Rupee: क्या है भारत का डिजिटल रुपया? रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी कैसे करती है काम? जानिए सारे जवाब

What is Digital Rupee?: रिजर्व बैंक ने क्रिप्टाकरेंसी की दुनिया भर में चल रही चर्चा के बीच सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी की शुरुआत की है, जिसे डिजिटल रुपया भी कहा जा रहा है...

क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया भर में हो रही चर्चा के बीच भारतीय सेंट्रल बैंक आरबीआई ने डिजिटल करेंसी की शुरुआत कर दी है. देश के कई बड़े बैंकों ने डिजिटल करेंसी में लेन-देन की सुविधा शुरू कर दी है. भारत की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी डिजिटल रुपया या ई-रूपी के नाम से भी जाना जा रहा है. हाल ही में इसकी सेवा ऑफर करने वाले बैंकों में सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई का भी नाम जुड़ गया है. अभी सरकारी बैंकों के अलावा कई प्राइवेट बैंक अपने ग्राहकों को डिजिटल रुपये की सुविधा दे रहे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर डिजिटल करेंसी है क्या चीज और ये कैसे काम करती है!

क्या होती है डिजिटल करेंसी?

डिजिटल करेंसी एक ऐसी करेंसी होती है, जो पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध होती है. अभी डिजिटल करेंसी के मुख्य रूप से तीन प्रकार हैं- क्रिप्टोकरेंसी, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी और स्टेबल कॉइन. ये अत्याधुनिक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती हैं. इनकी सबसे खास बात ये होती है कि इनका लेन-देन पूरी तरह से वर्चुअल होता है.

आज के समय में कई क्रिप्टोकरेंसी उपलब्ध हैं. जैसे बिटकॉइन, इथेरम आदि. यूएसडीटी, यूएसडीसी, ट्रूयूएसडी, बीयूएसडी आदि स्टेबल कॉइन के उदाहरण हैं. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को डिजिटल रुपये यानी ई-रूपी से समझ सकते हैं.

क्या है आरबीआई का डिजिटल रुपया?

अब आरबीआई की डिजिटल करेंसी यानी डिजिटल रुपये को समझते हैं. जैसे रिजर्व बैंक सिक्कों की ढलाई और नोटों की छपाई करता है, उसी तरह आरबीआई ही डिजिटल रुपये का टोकन तैयार करता है. सिक्के और नोट जिस तरह कमर्शियल बैंकों के माध्यम से बाजार में और लोगों तक पहुंचाए जाते हैं, उसी तरह टोकन यानी डिजिटल रुपये को भी लोगों तक बैंक पहुंचाते हैं. रिजर्व बैंक जिन्हें टोकन जारी करता है, उन्हें टोकन सर्विस प्रोवाइडर कहते हैं. ये रिजर्व बैंक के द्वारा चुने गए बैंकों को कहा जाता है. सबसे अंत में बैंक यानी टोकन सर्विस प्रोवाइडर इच्छुक लोगों को टोकन बांटते हैं यानी डिजिटल रुपया प्रदान करते हैं.

कितनी होती है डिजिटल करेंसी की वैल्यू?

डिजिटल रुपये की वैल्यू नोटों व सिक्कों के बिलकुल बराबर होती है. उदाहरण के लिए- अगर आपको बैंक ने 20 डिजिटल रुपये दिए हैं तो उसकी वैल्यू 20 रुपये के नोटों या सिक्कों के बराबर है. आप डिजिटल रुपये का इस्तेमाल कैश की जगह कर सकते हैं. अब तो इसके लिए यूपीआई की तरह स्कैन एंड पे की सुविधा भी उपलब्ध हो गई है. यूपीआई के माध्यम से भी डिजिटल रुपये का लेन-देन संभव होने लगा है.

कैसे काम करती है डिजिटल करेंसी?

आरबीआई ने डिजिटल रुपये के लिए जिन बैंकों को चुना है, सभी ने यूजर्सा को डिजिटल रुपये के लिए ऐप व वॉलेट की सुविधा दी है. सीबीडीसी-आर ऐप पर आप अपने डिजिटल रुपये को स्टोर कर सकते हैं. यह ठीक वैसा ही है, जैसे आप अपने बैंक अकाउंट में पैसे रखते हैं और वो आपके बैंक के ऐप में दिखता है. इसका काम करने का तरीका किसी भी आम डिजिटल वॉलेट की तरह है.

क्यों पड़ी डिजिटल करेंसी की जरूरत?

अब सबसे आखिरी सवाल ये उठता है कि आखिर रिजर्व बैंक को डिजिटल करेंसी लाने की जरूरत क्यों पड़ी या दूसरे तरीके से कहें तो डिजिटल करेंसी के फायदे क्या हैं? तो आइए जानते हैं कि डिजिटल करेंसी से क्या फायदे होते हैं...

डिजिटल करेंसी के 5 बड़े फायदे

1: 24 घंटे उपलब्धता: कैश निकालने के लिए आपको एटीएम या बैंक ब्रांच जाने की जरूरत होती है. आपके अकाउंट में भले ही पैसे हों, लेकिन आपके पास कैश हमेशा नहीं रहता. डिजिटल करेंसी इस मामले में अलग है, जिसकी उपलब्धता चौबीसों घंटे रहती है.
2: बनाने में कम खर्च: आप जो भी नोट या सिक्के यूज करते हैं, उनकी मैन्युफैक्चरिंग में रिजर्व बैंक को मोटी रकम खर्च करने की जरूरत पड़ती है. उसके लिए रिजर्व बैंक ने कई स्थानों पर छापेखाने और टकसाल बनाया हुआ है. डिजिटल करेंसी में इसकी जरूरत नहीं पड़ती है. इसे बेहद कम खर्च पर इश्यू करना संभव है.
3: आसान रख-रखाव: चाहे सिक्के हों या नोट, उनकी एक सीमित उम्र होती है. नोट फट सकते हैं, पानी में गल सकते हैं. सिक्के के साथ भी दिक्कतें आ सकती हैं. डिजिटल करेंसी के मामले में इन समस्याओं से निजात मिल जाता है.
4: लेन-देन की कम लागत: आप कोई भी ट्रांजेक्शन करते हैं तो उसकी एक लागत आती है. इसी कारण आपने कई बार नोटिस किया होगा कि क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से पेमेंट करने पर आपको कभी-कभी एक्स्ट्रा पेमेंट करना पड़ता है. अगर ट्रांजेक्शन ग्लोबल हुआ तो लागत और ज्यादा हो जाती है. डिजिटल करेंसी के मामले में लागत बेहद मामूली रह जाती है.
5: ग्राहकों के लिए आसानी: अगर आप एंड यूजर हैं तो आपको भी इससे कई फायदे हैं. जैसे ऊपर बताया कि आपके पास चौबीसों घंटे उपलब्धता रहती है. आपको पैसे के कटने-फटने का डर नहीं रहता है. डिजिटल करेंसी खो नहीं सकती या कोई इसे आपके पॉकेट से चुरा नहीं सकता है.

ये भी पढ़ें: सुधरने लगा घरेलू शेयर बाजार, 2 सप्ताह के बाद आई तेज, अब आगे कैसा रहने वाला है हाल!

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