भारत के केंद्रीय बैंक आरबीआई ने पिछले एक दशक में पहली बार देश का सोना बेचा है. सोने की रिकॉर्ड कीमतों को देखते हुए कोरोना महामारी के दौर में गोल्ड के उत्पादक राष्ट्रों ने इसको बेचने का फैसला किया है और आरबीआई ने भी ऐसा ही कुछ किया. दुनिया के कुछ देशों के केंद्रीय बैंक ने तीसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही में 12 टन सोने की बिक्री की है और ये साल 2010 की चौथी तिमाही के बाद पहली बार हुआ है.


वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि नकारात्मक दरों के माहौल के बीच डाइवर्सिफिकेशन और सुरक्षा की जरूरत से प्रेरित होकर मध्यम स्तर पर सोने की खरीदारी हो तो रही है लेकिन इस समय खरीदारी से ज्यादा बिक्री की जा रही है. दो प्रमुख केंद्रीय बैंकों के जरिए सोने की बिक्री करने के बाद ये ट्रेंड दिखा है.


रूस ने 13 सालों के बाद बेचा अपना सोना
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक मुख्य तौर पर उजबेक्सितान और तु्र्की ने ये बिक्री शुरू की वहीं रूस के केंद्रीय बैंक ने पिछले 13 सालों में पहली बार तिमाही बिक्री की है. डब्ल्यूजीसी में मार्केट इंटेलिजेंस लुईस स्ट्रीट ने कहा कि ''दुनिया भर के सोने के बाजार में कोविड-19 का प्रभाव अभी भी महसूस किया जा रहा है. कई बाजारों में निरंतर सामाजिक प्रतिबंध, लॉकडाउन का आर्थिक प्रभाव और कई करेंसी में सभी उच्च सोने की कीमतें कई आभूषण खरीदारों के लिए बहुत अधिक साबित हुईं हैं. हमें विश्वास है कि यह प्रवृत्ति भविष्य में भी जारी रहेगी.''


इसके अलावा लुइस ने कहा कि इंवेस्टर सेंटीमेंट को देखते हुए हमने तीसरी तिमाही में सोने के सपोर्ट वाले ईटीएफ में रिकॉर्ड इनफ्लो देखा, जो वैश्विक सोने के दामों को कुल रिकॉर्ड स्तर तक ले गया. इस तिमाही के दौरान रिटेल निवेशकों के लिए एक सुरक्षित आश्रय के रूप में गोल्ड की भूमिका बनी रहेगी और ये समान रूप से प्रोत्साहित करने वाली है क्योंकि लोग अस्थिर बाजारों में स्थिरता की तलाश जारी रखते हैं जो उन्हें सोने के रूप में मिल सकती है.


तुर्की और उज्बेकिस्तान ने की मुख्य रूप से सोने की बिक्री
सितंबर में सिटीग्रुप ने भविष्यवाणी की थी कि केंद्रीय बैंक की तरफ से गोल्ड डिमांड 2021 में दोबारा लौटकर आएगी जबकि इस साल इसमें धीमापन देखा गया है. हालांकि 2018-2019 में ये लगभग रिकॉर्ड खरीदारी के आसपास थी और सोने की खरीदारी के लिए कई केंद्रीय बैंक बहुत आगे थे. मुख्य रूप से दो केंद्रीय बैंकों, तुर्की और उजबेकिस्तान की सोने में बिक्री के कारण तीसरी तिमाही में सोने की सेल में 78.9 टन का इजाफा हुआ. डब्ल्यूजीसी ने कहा कि तुर्की और उज्बेकिस्तान के सेंट्रल बैंकों ने तीसरी तिमाही में क्रमश: 22.3 टन और 34.9 टन सोना बेचा.


ग्लोबल डिमांड
वैश्विक सोने की मांग देखें तो ये साल दर साल आधार पर 19 फीसदी गिरी है और तीसरी तिमाही में 892 टन पर आ गई थी. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कोविड-19 महामारी का असर लोगों पर लगातार देखा जा रहा है और लोग लगातार सोने की खरीदारी कम कर रहे हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि 2009 की तीसरी तिमाही के बाद से ये इस साल की तीसरी तिमाही में सबसे कम रही है.


भारतीय मांग
अगर बात करें भारतीय ग्राहकों की तो इनकी तरफ से भी सोने की मांग में बेतहाशा गिरावट आई है और इसके पीछे बड़ी वजह रही-लगातार लॉकडाउन और सोने की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी जो पहले कभी नहीं देखी गई. इसके अलावा पितृ पक्ष और अधिकमास की वजह से भी सोने की खरीदारी पर नकारात्मक असर पड़ा और सितंबर में ये काफी घटी. बता दें कि पितृ पक्ष और अधिकमास दोनों ही ऐसे समय हैं जब सोने की खरीदारी को शुभ नहीं माना जाता है.


भारत में सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में सोने की कीमत प्रति 10 ग्रााम 50 हजार रुपये के पार पहुंच गई जो कि देश के लिए एक मील का पत्थर जैसी घटना थी. इसके चलते सोने की उतनी ही खरीदारी हुई जितनी जरूरी थी और लोगों ने शौकिया
गोल्ड की खरीदारी नहीं की. इसके चलते हल्के वजन वाले सादे सोने की खरीदारी को प्रोत्साहन मिला.


वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की 2020 की तीसरी तिमाही की गोल्ड डिमांड ट्रेंड रिपोर्ट में ये बातें खास रहीं




  • साल दर साल आधार पर सोने की मांग 19 फीसदी घटकर 892 टन पर आ गई.

  • गोल्ड ईटीएफ के इंवेस्टर्स ने अपनी होल्डिंग में 272.5 टन का इजाफा किया जिससे ग्लोबल होल्डिंग नए रिकॉर्ड यानी 3800 टन पर जा पहुंची.

  • गोल्ड बार और सोने के सिक्कों की डिमांड साल दर साल आधार पर काफी बढ़ी और 222.1 टन पर जा पहुंची.

  • साल 2010 के बाद से पहली बार देशों के केंद्रीय बैंक ने 12 टन सोने की बिक्री की है.

  • ग्लोबल ज्वैलरी डिमांड दूसरी तिमाही के रिकॉर्ड निचले स्तर से तो सुधरी पर साल दर साल आधार पर 333 टन से 29 फीसदी गिर गई.

  • टेक्नोलॉजी सेक्टर में सालाना आधार पर मांग 6 फीसदी गिरकर 76.7 टन पर आ गई है.

  • वहीं कुल सप्लाई की बात करें तो साल दर साल आधार पर ये 3 फीसदी गिरी है.


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