केन्द्रीय कैबिनेट ने अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी को दी मंजूरी
दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो के अनुसार 3.92 लाख करोड़ रुपये मूल्य का स्पेक्ट्रम बिना किसी उपयोग के नीलामी के लिये पड़ा है. दूरसंचार मंत्रालय को दूरसंचार परिचालकों से स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में औसतन 5 प्रतिशत राजस्व हिस्सा मिलता है.
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दे दी है. सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने गन्ना किसानों के लिये राहत, पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली ढांचागत सुविधाओं में सुधार और स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दी है.
दूरसंचार विभाग के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय- डिजिटल संचार आयोग ने मई में स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी थी. यह मंजूरी मंत्रिमंडल की अनुमति पर निर्भर थी. दूरसंचार विभाग को अगले दौर की नीलामी के लिये अधिसूचना जारी करना है. इसके तहत 5.22 लाख करोड़ रुपये मूल्य की रेडियो तरंगों की बिक्री की जाएगी.
केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ब्रीफिंग करते हुए कहा- "केन्द्रीय कैबिनेट ने 700 मेगाहर्ट्स, 800 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी ब्रांड्स को 20 साल की अवधि के लिए नीलामी की मंजूरी दी है. कुल 2251.25 मेगाहर्ट्ज को 3,92,332.70 करोड़ कुल मूल्यांकन के साथ ऑफर किया जा रहा है."
The notice inviting application to be issued this month itself and by March 2021 we propose to hold the auction of these spectrums: Union Minister Ravi Shankar Prasad https://t.co/oVcJ1B79y0
— ANI (@ANI) December 16, 2020
दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो के अनुसार 3.92 लाख करोड़ रुपये मूल्य का स्पेक्ट्रम बिना किसी उपयोग के नीलामी के लिये पड़ा है. दूरसंचार मंत्रालय को दूरसंचार परिचालकों से स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में औसतन 5 प्रतिशत राजस्व हिस्सा मिलता है. इसका आकलन कंपनियों के पास उपलब्ध स्पेक्ट्रम के आधार पर होता है. इसके अलावा संचार सेवाओं की बिक्री से प्राप्त आय में से लाइसेंस शुल्क के रूप में 8 प्रतिशत हिस्सा मिलता है.
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