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Mobile Tariff: मोबाइल टैरिफ पर हंगामे के बीच सरकार की सफाई, अभी भी अन्य देशों से सस्ती है सर्विस
Tariff Hike: मोबाइल कंपनियों के द्वारा इस महीने से रिचार्ज प्लान को 25 फीसदी तक महंगा किए जाने के बाद यह मुद्दा राजनीतिक रंग पकड़ चुका है. राजनीतिक हंगामे के बीच सरकार ने सफाई जारी की है...
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तीनों प्रमुख दूरसंचार कंपनियों के द्वारा मोबाइल टैरिफ बढ़ाए जाने का मामला राजनीतिक रंग ले चुका है. प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस की कड़ी आलोचना के बाद सरकार ने अब इस मसले पर आधिकारिक रूप से सफाई जारी की है. सरकार का कहना है कि वह मोबाइल टैरिफ की दरों के निर्धारण में दखल नहीं देती है. साथ ही सरकार ने साफ किया है कि अभी भी भारत में मोबाइल सेवाएं दुनिया के प्रमुख देशों की तुलना में सस्ती हैं.
सरकार का दखल नहीं, बाजार के हिसाब से होती हैं तय
संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग ने इसे लेकर शुक्रवार को एक बयान जारी किया. बयान में दूरसंचार विभाग ने कहा कि अभी घरेलू बाजार में 1 सरकारी कंपनी और 3 प्राइवेट कंपनियां काम कर रही हैं. मोबाइल सेवाओं का बाजार अब डिमांड और सप्लाई के हिसाब से काम करता है. मोबाइल कंपनियां नियामक ट्राई द्वारा तय किए गए ढांचे के तहत दरें तय करती हैं. सरकार फ्री मार्केट के निर्णयों में दखल नहीं देती है.
टैरिफ में बदलाव की ट्राई करता है निगरानी
बयान के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियों के द्वारा दरों में की जाने वाली बढ़ोतरी की ट्राई निगरानी करता है और देखता है कि ये बदलाव तय दायरे में रहें. दूरसंचार विभाग ने साथ ही ये भी जोड़ा कि बीते 2 सालों से देश में मोबाइल टैरिफ में कोई बदलाव नहीं हुआ था, जबकि उस दौरान टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ने देश में 5जी सेवाएं शुरू करने पर भारी निवेश किया. उसी का परिणाम है कि आज देश में औसत मोबाइल स्पीड बढ़कर 100 एमबीपीएस के स्तर पर पहुंच गई है और मोबाइल स्पीड के मामले में देश की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग अक्टूबर 2022 के 111 से छलांग लगाकर 15 पर पहुंच गई है.
टेलीकॉम कंपनियों ने इतना महंगा किया प्लान
तीनों प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइिडया ने इस महीने से अपने प्लान को महंगा किया है. दूरसंचार कंपनियों ने मोबाइल टैरिफ में 11 से 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है. सबसे पहले रिलायंस जियो ने टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया था. उसके बाद भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने भी टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया. टैरिफ बढ़ने से मोबाइल उपभोक्ताओं पर हजारों करोड़ रुपये का बोझ बढ़ने का अनुमान है. विपक्षी पार्टियां इस बात को मुद्दा बना रही हैं.
वहीं सरकार ने ताजे बयान में सफाई देते हुए दोहराया है कि अभी भी भारत में मोबाइल सेवाओं की दरें दुनिया के प्रमुख देशों की तुलना में कम हैं. दूरसंचार विभाग ने अपनी बात रखने के लिए इंटरनेशनल टेलीकॉम यूनियन के द्वारा जारी आंकड़ों को आधार बनाया है. आईटीयू के आंकड़ों में न्यूनतम मोबाइल, वॉयस और डेटा के बास्केट (140 मिनट, 70 एसएमएस और 2 जीबी डेटा) की दरें बताई गई हैं. डेटा पिछले साल यानी 2023 के हिसाब से है.
प्रमुख देशों में मोबाइल सेवाओं की दरें
आंकड़ों के अनुसार, मिनिमम सेवाओं के लिए चीन में उपभोक्ता 8.84 डॉलर खर्च कर रहे हैं. इसी तरह अफगानिस्तान में 4.77 डॉलर, भूटान में 4.62 डॉलर, बांग्लादेश में 3.24 डॉलर, नेपाल में 2.75 डॉलर और पाकिस्तान में 1.39 डॉलर खर्च करना पड़ रहा है. प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की दरों को देखें तो वे अमेरिका में 49 डॉलर, ऑस्ट्रेलिया में 20.1 डॉलर, दक्षिण अफ्रीका में 15.8 डॉलर, ब्रिटेन में 12.5 डॉलर, रूस में 6.55 डॉलर, ब्राजील में 6.06 डॉलर, इंडोनेशिया में 3.29 डॉलर और मिस्र में 2.55 डॉलर हैं. भारत के मामले में यह दर 1.89 डॉलर है, जिसमें उपभोक्ताओं को अनलिमिटेड वॉयस कॉल के साथ 18 जीबी डेटा का लाभ मिल रहा है.
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