Edible Oil Prices: महंगाई से मिलेगी और राहत, अभी इतना कम हो सकता है खाद्य तेलों का भाव
Food Inflation: देश में महंगाई में तेजी से कमी आई है. इसमें सबसे ज्यादा योगदान खाने-पीने की चीजों की महंगाई के नियंत्रित होने का रहा है. खाने वाले तेलों के दाम भी तेजी से कम हो रहे हैं...
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लंबे समय तक महंगाई (Inflation) की मार से परेशान होने के बाद देश में आम लोगों को राहत मिलने लगी है. खुदरा महंगाई (Retail Inflation) की दर कम होकर 5 फीसदी से नीचे आ चुकी है, जिससे सरकार और रिजर्व बैंक (RBI) दोनों ने राहत की सांसें ली है. वहीं आम लोगों को इस मोर्चे पर आने वाले दिनों में और राहत मिल सकती है. ऐसी चर्चा है कि आने वाले दिनों में खाने वाले तेलों के दाम में और कमी आ सकती है.
एमआरपी में आ सकती है इतनी कमी
बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों को खाने के तेलों के भाव तत्काल कम करने के लिए कहा है. रिपोर्ट की मानें तो इस संबंध में पिछले सप्ताह शुक्रवार को केंद्र सरकार की खाद्य तेल कंपनियों के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई. बैठक में सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों को कहा कि वे खाद्य तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) को तत्काल प्रभाव से 8-12 रुपये प्रति लीटर कम करें.
कई कंपनियां घटा चुकी भाव
सरकार इससे पहले भी तेल कंपनियों को भाव कम करने के निर्देश दे चुकी है. सरकार के पिछले निर्देश पर कई कंपनियों ने अमल भी किया है और आम लोगों को सस्ते खाद्य तेल का लाभ मिलने लगा है. सरकार ने इस बार साफ किया है कि अब तक जिन कंपनियों ने एमआरपी कम करने के निर्देश पर अमल नहीं किया है, वे तत्काल इस दिशा में कदम उठाएं.
एक महीने में दूसरी बार बैठक
सरकार का कहना है कि खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट जारी है. इस कारण खाद्य तेल उद्योग द्वारा और कटौती की जानी चाहिए. वैश्विक कीमतों में लगातार गिरावट के बीच खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में कमी लाने के लिए यह एक महीने के बीच दूसरी बैठक हुई है. इस बैठक में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया और इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन सहित उद्योग जगत के प्रतिनिधि मौजूद रहे.
अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचे लाभ
बैठक में मंत्रालय ने कहा कि आयातित खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट जारी है.इसलिए खाद्य तेल उद्योग को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि घरेलू बाजार में कीमतों में भी उसी अनुपात में गिरावट आए. उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि वैश्विक बाजार में कीमतों में गिरावट का ज्यादा से ज्यादा लाभ अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचे.
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