नई दिल्लीः दुनिया में कच्चे तेल के दामों में लगातार गिरावट आ रही है, मगर भारत में पेट्रोलियम पदार्थो के दाम बढ़ रहे हैं. इससे उपभोक्ता की जेब खाली हो रही है और सरकार का खजाना भर रहा है. बीते आठ महीने की अवधि में सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थो पर लगने वाले कर से 150,000 करोड़ रुपये की कमाई की है.


आठ महीने में डेढ़ लाख करोड़ रुपये की शानदार कमाई
डायरेक्ट्रोरेट जनरल ऑफ सिस्टम्स एंड डाटा मैनेजमेंट द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार को इस वित्तीय वर्ष के आठ महीने यानी अप्रैल, 2017 से नवंबर, 2017 के दौरान कुल 1,50,019,23 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है. इसमें केंद्रीय एक्साइज से हुई आमदनी 1,43,896.64 करोड़ रुपये और कस्टम ड्यूटी (इंपोर्ट) से हुई आय 6123,10 करोड़ रुपये है.


मध्य प्रदेश के नीमच जिले के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने डायरेक्ट्रोरेट जनरल ऑफ सिस्टम्स एंड डाटा मैनेजमेंट से सूचना के अधिकार के तहत जानना चाहा था कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के पहले नौ महीने में पेट्रोलियम पदार्थो से कुल कितने राजस्व की प्राप्ति हुई है. इन नौ महीने का महीनेवार ब्यौरा उपलब्ध कराएं. उन्हें आठ महीने का ही ब्यौरा मिला है.


मई में मिला सबसे ज्यादा राजस्व
गौड़ को दिए गए ब्यौरे के मुताबिक, मई महीने में केंद्र सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व 20,260 करोड़ रुपये बतौर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी के रूप में प्राप्त हुए, वहीं सबसे ज्यादा कस्टम ड्यूटी के तौर पर जून महीने में 1883 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. वहीं सबसे कम सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी के जरिए 16,952 करोड़ नवंबर में और कस्टम ड्यूटी से अप्रैल महीने में 371 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ.


दो कोड की जानकारी दी गई
गौड़ ने सभी श्रेणी के पेट्रोलियम पदार्थो के जरिए नौ महीने में केंद्र सरकार को हुई आय का ब्यौरा मांगा था, मगर उन्हें सिर्फ दो कोड (श्रेणी) सीटीएच 2710 और 2711 के ही राजस्व की जानकारी उपलब्ध कराई गई है.


गौड़ ने आईएएनएस से कहा कि उन्होंने सभी श्रेणी के पेट्रोलियम पदार्थो से हुई राजस्व की आय का ब्यौरा मांगा था, मगर उन्हें सिर्फ दो कोड का ही उपलब्ध कराया गया है. गौड़ ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की है कि पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी की श्रेणी में लाया जाए, ताकि आमजन को महंगाई की मार से थोड़ी राहत मिल सके.