केंद्र सरकार ने विभिन्न हाई कोर्ट के ऊपर दबाव को कम करने और जीएसटी से संबंधित मुकदमेबाजी के मामलों को निपटाने की प्रक्रिया तेज करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने राज्यों में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की 31 बेंच बनाने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है.
इन मामलों में मिलेगी मदद
केंद्र सरकार ने यह अधिसूचना गुरुवार को देर शाम जारी की. अधिसूचना के अनुसार, 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 31 जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल बेंच बनाई जाएंगी. अभी जीएसटी प्राधिकरणों के फैसले से असहमत होने पर करदाताओं को हाई कोर्ट में जाना पड़ता था. इससे एक तरफ हाई कोर्ट के ऊपर मुकदमों का बोझ बढ़ता था और दूसरी तरफ मामले को निपटाने में देरी होती थी.
मार्च में हुआ था संशोधन
केंद्र सरकार ने जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच के गठन के लिए फाइनेंस बिल में जरूरी बदलावों की तैयारियां पहले ही कर ली थी, जिसे संसद ने मार्च में मंजूर भी कर दिया था. इसका उद्देश्य तेज गति से मामलों का निपटान करते हुए जीएसटी से जुड़ी मुकदमेबाजियों में कमी लाना है. आइए देखते हैं कि जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच कहां-कहां बनने वाली है...
यहां होगा बेंच का गठन
आंध्र प्रदेश: विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा
बिहार: पटना
छत्तीसगढ़: रायपुर और बिलासपुर
दिल्ली
गुजरात/दादरा और नगर हवेली/दमन और दीव: अहमदाबाद, सूरत और राजकोट
हरियाणा: गुरुग्राम और हिसार
हिमाचल प्रदेश: शिमला
जम्मू और कश्मीर/लद्दाख: जम्मू और श्रीनगर
झारखंड: रांची
कर्नाटक: बेंगलुरू
केरल/लक्षद्वीप: एर्नाकुलम और त्रिवेन्द्रम
मध्य प्रदेश: भोपाल
गोवा/महाराष्ट्र: मुंबई, पुणे, ठाणे, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी
ओडिशा: कटक
पंजाब: चंडीगढ़ और जालंधर
राजस्थान: जयपुर और जोधपुर
तमिलनाडु/पुडुचेरी: चेन्नई, मदुरै, कोयंबटूर और पुडुचेरी
तेलंगाना: हैदराबाद
उत्तर प्रदेश: लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज
उत्तराखंड: देहरादून
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, सिक्किम, पश्चिम बंगाल: कोलकाता
अरुणाचल प्रदेश/असम/मणिपुर/मेघालय/मिजोरम/नागालैंड/त्रिपुरा: गुवाहाटी, आइजोल(सर्किट), अगरतला(सर्किट), कोहिमा (सर्किट)
इस अधिसूचना के साथ ही व्यवसायियों और व्यापार संगठनों की सालों पुरानी मांग पूरी हो गई है. वे लंबे समय से जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल की बेंच बनाने कीमांग कर रहे थे, क्योंकि उन्हें विवाद होने पर हाई कोर्ट के पास जाना पड़ता था, जहां पहले से ही लंबित मामलों का दबाव है और जीएसटी को लेकर स्पेशल बेंच का भी अभाव था.
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