PSU Capital Infusion: घाटे वाली सरकारी बीमा कंपनियों को मदद, सरकार दे सकती है इतने हजार करोड़
सरकार लगातार इन बीमा कंपनियों को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करती आ रही है. इन्हें सरकार से मिलने वाली पूंजी में कितना हिस्सा मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनका प्रदर्शन कैसा रहता है.
घाटे में चल रहीं सरकारी बीमा कंपनियों (PSU Insurance Companies) के लिए जल्द राहत सामने आ सकती है. सरकार ऐसी बीमा कंपनियों की मदद करने की तैयारी कर रही है. इस तरह की तीन सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों (General Insurance Companies) को चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 के दौरान सरकार से फंडिंग मिल सकती है. इस फंडिंग से तीनों सरकारी कंपनियों को अपनी स्थिति सुधारने में जरूरी मदद मिलने की उम्मीद है.
कंपनियों को यहां मिलेगी मदद
पीटीआई की एक खबर के अनुसार, वित्त मंत्रालय घाटे में चल रहीं तीन सरकारी साधारण बीमा कंपनियों में चालू वित्त वर्ष के दौरान 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालने की योजना पर काम कर रहा है. यह जानकारी मामले से जुड़े सूत्रों ने दी है. सूत्रों के अनुसार, इस कैपिटल इंफ्यूजन से घाटे में चल रही तीनों सरकारी बीमा कंपनियों को अपनी हालत सुधारने में मदद मिलेगी.
इन तीनों को मिल सकती है पूंजी
सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में भी इन तीनों बीमा कंपनियों में 5,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई थी. ये तीन कंपनियां हैं कोलकाता मुख्यालय वाली नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (National Insurance Company Limited), दिल्ली मुख्यालय वाली ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (Oriental Insurance Company Limited) और चेन्नई मुख्यालय वाली यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (United India Insurance Company). नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सबसे ज्यादा 3,700 करोड़ रुपये दिए गए थे. वहीं ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 1,200 करोड़ रुपये और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को 100 करोड़ रुपये मिले थे.
कंपनियों को मिला है ये काम
सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने इन कंपनियों को अपना सोल्वेंसी रेशियो बेहतर करने और 150 फीसदी की नियामकीय शर्त पूरा करने को कहा है. सोल्वेंसी रेशियो इस बात का पैमाना है कि अमुक कंपनी के पास कितनी पूंजी उपलब्ध है. यह अनुपात अधिक होने से किसी कंपनी की बेहतर वित्तीय स्थिति का संकेत मिलता है, जिसका मतलब होता है कि संबंधित बीमा कंपनी दावों का भुगतान करने की बेहतर स्थिति में है. ऐसी कंपनियां भविष्य में अचानक आने वाली देनदारियों का भुगतान कर पाने में सक्षम मानी जाती हैं.
पैमाने पर सभी कंपनियां पीछे
सरकारी बीमा कंपनियों के मामले में इस पैमाने की बात करें तो न्यू इंडिया एश्योरेंस को छोड़कर बाकी बीमा कंपनियों का सोल्वेंसी रेशियो 150 फीसदी की नियामकीय शर्त से काफी कम रही है. वित्त वर्ष 2021-22 में नेशनल इंश्योरेंस का सोल्वेंसी रेशियो 63 फीसदी, ओरिएंटल इंश्योरेंस का 15 फीसदी और यूनाइटेड इंडिया का 51 फीसदी रहा था.
इस बात पर मिलेगा पैसा
सूत्रों ने कहा कि इन सभी बीमा कंपनियों को मुनाफा कमाने की राह पर चलने के लिए कहा गया था. इन कंपनियों को सरकार से मिलने वाली अतिरिक्त पूंजी में कितना हिस्सा मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनका प्रदर्शन कैसा रहता है. सुधार के संकेत दिखाने वाली बीमा कंपनियों को सरकार से ज्यादा पूंजी मिलेगी, जबकि पिछड़ने वाली कंपनियां फंडिंग में भी पीछे रह जाएंगी.
पहले भी मिल चुकी है मदद
सरकार लगातार इन बीमा कंपनियों को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करती आ रही है. वित्त वर्ष 2019-20 में भी सरकार ने इन सरकारी बीमा कंपनियों में 2,500 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई थी. उसके बाद वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सरकार ने इन कंपनियों में 9,950 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी.
ये भी पढ़ें: दुनिया भर में हो रही छंटनी का असर, दो तिहाई लोगों को नौकरी जाने का डर