Vodafone Idea Update: वित्तीय संकट से जूझ रही देश की तीसरी सबसे बड़ी दिग्गज टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया के लिए राहत की खबर है. सरकार ने कंपनी को अपने बकाये एजीआर पर बने ब्याज के रकम को शेयर में बदलने पर अपनी रजामंदी दे दी है. वोडाफोन आइडिया पर ब्याज के रकम के मद में 16133 करोड़ रुपये सरकार का बकाया है.  


सरकार के इस फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया 10 रुपये के वैल्यू वाले 1633 करोड़ शेयर्स जारी करेगी. इस बकाये कर्ज को शेयर्स में बदलने के बाद वोडाफोन आइडिया में सरकार की 33 फीसदी के करीब हो जाएगी. इससे प्रोमोटर की हिस्सेदारी भी कंपनी में 74.99 फीसदी से घटकर 50 फीसदी से कम रह जाएगी. बहरहाल वोडाफोन आइडिया में 10 रुपये के वैल्यू पर सरकार को शेयर किया जाएगा लेकिन शुक्रवार को वोडाफोन आइडिया का शेयर 6.85 रुपये पर क्लोज हुआ है. यानि सरकार के जिन भाव पर शेयर जारी किया जा रहा है उससे 31 फीसदी नीचे शेयर ट्रेड कर रहा है. 


दरअसल वोडाफोन आइडिया कर्ज के बोझ में डूबी हुई है और कंपनी चलाने के लिए उसे भारी भरकम पूंजी की दरकार है. लेकिन कंपनी के प्रमोटर पूंजी डालने के मूड में नजर नहीं आ रहे थे तब सरकार ने साफ कर दिया था कि जब तक प्रमोटर पूंजी नहीं डालेंगे सरकार बकाये कर्ज के बदले में कंपनी के शेयर्य नहीं लेगी. बकाये कर्ज को शेयर में बदलने का मामला एक साल लटका हुआ था. लेकिन ही में कंपनी के अधिकारियों ने टेलीकॉम और वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों से मुलाकात की है जिसके बाद सरकार ने कर्ज को शेयर में बदलने का फैसला लिया है. 


पहले कंपनी के प्रमोटर केवल 2000 से 3000 करोड़ रुपये पूंजी डालना चाहते हैं जो कंपनी के कायाकल्प करने के लिए नाकाफी है. वोडाफोन आइडिया को बेहतर तरीके से संचालन करने के लिए 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये की जरुरत है. अगर इसका 50 फीसदी बैंक से कर्ज के रूप में मिल जाता है तो बचे हुए रकम प्रमोटर को डालना होगा. प्रमोटर के फंडिंग के बगैर ना तो कोई भी निवेशक कंपनी में निवेश करेगा और ना कोई बैंक कंपनी को सपोर्ट करने के लिए आगे आएगी.  विदेशी निवेशकों से भी कंपनी पैसा नहीं जुटा पा रही है क्योंकि ये निवेशक चाहते हैं कि पहले सरकार कंपनी में हिस्सेदारी ले. 


दिसंबर महीने में कंपनी ने देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई से 15000 से 16000 करोड़ रुपये कर्ज लेने के लिए संपर्क किया था. हालांकि बैंक ने सरकार के वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी उठाने को लेकर कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा था. कंपनी पर टावर कंपनी का भी बकाया है. 


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