क्रिकेट और बॉलीवुड को धर्म की तरह फॉलो करने वाले देश में आज हर किसी की नजरें आसमान में है. भारत का चंद्रयान-3 आज 23 अगस्त की शाम में चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है. चांद पर चंद्रयान-3 के उतरते ही स्पेस मिशन का नया इतिहास बनने वाला है. यही कारण है कि न सिर्फ करोड़ों भारतीय लैंडिंग के अपडेट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, बल्कि पूरी दुनिया की टकटकी लगी हुई है. उन तमाम लोगो के अलावा कई कंपनियां भी हैं, जो ऐतिहासिक पल का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं, जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने में योगदान दिया है.
इस कारण खास है भारत का ये मिशन
चंद्रयान-3 भारत के महत्वाकांक्षी स्पेस प्रोग्राम का अहम पड़ाव है. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो पहले भी चांद के मिशन को अंजाम दे चुकी है और मंगल ग्रह तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है, लेकिन यह मिशन बाकियों से अलग है. यह मिशन चांद के उस हिस्से में उतरने का प्रयास है, जो हमेशा अंधेरे में रहता है. अभी तक चांद का यह हिस्सा अनएक्सप्लोर्ड है और मिशन के सफल होने पर यह उस हिस्से में पहली सॉफ्ट लैंडिंग होगी.
स्पेसटेक इंडस्ट्री में 400 प्राइवेट कंपनियां
संक्षेप में कहें तो अभी तक जो काम नासा या रूस और चीन की स्पेस एजेंसियां नहीं कर पाई हैं, इसरो उस काम को अंजाम देने के बेहद करीब है. इसरो ने यह मुकाम एक दिन में नहीं पाया है. इसके पीछे करीब 6 दशकों की मेहनत है. इन 6 दशकों में इसरो ने न सिर्फ अंतरिक्ष में तिरंगे को फहराया है, बल्कि देश में एक नई इंडस्ट्री को भी डेवलप किया है, जिसे स्पेसटेक इंडस्ट्री कहा जा रहा है. स्थिति ये है कि अभी इस सेक्टर में करीब 400 प्राइवेट कंपनियां एक्टिव हैं और उनमें से कई ने इसरो के इस मिशन में बहुमूल्य योगदान दिया है.
सरकारी कंपनियों ने भी दिया योगदान
इसरो के इस मिशन में योगदान देने में सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की कंपनियां शामिल हैं. किसी ने बैटरी पर काम किया है, तो किसी ने रॉकेट तैयार किया है. उनमें सबसे पहना नाम आता है एलएंडटी का. इस प्राइवेट इंजीनियरिंग कंपनी ने मिशन के लिए बूस्टर और सबसिस्टम को तैयार किया है. सरकारी कंपनी भेल ने बैटरी की सप्लाई दी है. केरला स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी केलट्रॉन ने इलेक्ट्रॉनिक पावर मॉड्यूल और टेस्ट एंड इवॉल्यूशन सिस्टम को डेवलप किया है.
इन्होंने बनाए कई अहम कंपोनेंट
चांद पर भारत का झंडा गाड़ने जा रहे इस मिशन में योगदान देने वाली कंपनियों की लिस्ट इतनी ही नहीं है. प्राइवेट कंपनी वालचंद इंडस्ट्रीज ने मिशन के कई कंपोनेंट की मैन्यूफैक्चरिंग की है. अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने इसरो के लिए लॉन्च व्हीकल, सैटेलाइट, स्पेसक्राफ्ट पेलोड और ग्राउंड सिस्टम के लिए कई इलेक्ट्रॉनिक्स व मैकेनिकल सबसिस्टम का विनिर्माण किया है. गोदरेज एंड बॉयसे ने लिक्विड प्रोपल्शन इंजन, सैटेलाइट थ्रस्टर और कंट्रोल मॉड्यूल कंपोनेंट को तैयार किया है. यह कंपनी गोदरेज एयरोस्पेस की सब्सिडियरी है और मंगलयान के लिए भी काम कर चुकी है.
आज शाम में जैसे ही भारत के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरेगा, अंतरिक्ष में मानवों की उपलब्धियों की फेहरिस्त और लंबी हो जाएगी. सफल मिशन भारत के कद को बढ़ाएगा और उसके साथ ही देश में तेजी से डेवलप हो रही स्पेस टेक इंडस्ट्री को नया आयाम व मेजर बूस्ट मिलेगा.
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