आईटीआर नियमों में हुए बदलाव, टैक्स रिटर्न भरने से पहले जान लीजिये ये बात
भारतीय आयकर विभाग ने इस बार इनकम टैक्स रिटर्न के फॉर्म में कुछ बदलाव किए हैं. इसके साथ ही वित्त वर्ष 2020-21 के पहली तिमाही के निवेश की भी जानकारी मांगी गई है.
नई दिल्लीः इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए इस बार कई बदलाव किए गए हैं. इस बार कुछ आईटीआर फॉर्म बदले गए हैं. इसके साथ ही वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के निवेश की भी अलग जानकारी देने को अऩिवार्य बनाया गया है.
आइए देखते हैं ये बदलाव क्या हैं
1. अगर घरेलू कंपनियों से डिविडेंड मिला है तो यह कर योग्य आय है. इससे आप आईटीआर-1 फॉर्म नहीं भर पाएंगे.
2. जिनकी किसी हाउसिंग प्रॉपर्टी में साझा मालिकाना हक है वे आईटीआर-1 या आईटीआर-4 के जरिये इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भर पाएंगे.
3. टैक्सपेयर को अब करंट अकाउंट, फॉरन ट्रैवल और इलेक्ट्रिसिटी बिल का ब्योरा हर आईटीआर फॉर्म में देना होगा. इनमें करंट अकाउंट में एक करोड़ या उससे अधिक की जानकारी देनी होगी. इसके साथ ही एक लाख या उससे अधिक का बिजली बिल भरा है तो इसकी जानकारी देनी होगी. दो लाख रुपये तक फॉरन ट्रैवल पर खर्च किया है तो इसकी भी जानकारी देनी होगी.
4. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कोरोना वायरस संकट देखते हुए वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान टैक्स सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट में निवेश की अवधि बढ़ा कर 30 जून 2020 तक कर दी है. यानी आप इस तारीख तक टैक्स सेविंग स्कीम में निवेश कर आयकर छूट का लाभ ले सकते हैं.
इसके तहत एलआईसी, पीपीएफ, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट में निवेश आते हैं. इन पर 80 सी के तहत छूट मिलती है. हेल्थ इंश्योरेंस और डोनेशन में क्रमश: 80 डी और 80 जी के तहत टैक्स छूट मिलती है. इसमें निवेश कर टैक्स छूट का फायदा लेने की अवधि भी अब बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दी गई है.
नए फॉर्म में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए निवेश छूट का फायदा लेने के लिए 2020-21 की पहली तिमाही में किए गए निवेश की अलग से जानकारी देनी होगी.
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