OpenAI Bankruptcy: आमदनी अठन्नी- खर्चा रुपैया, दिवालिया होने की दहलीज पर है चैटजीपीटी बनाने वाली कंपनी
ChatGPT Maker Bankruptcy: चैटजीपीटी को मेंटेन करने पर ओपनएआई हर रोज जितना खर्च कर रही है, वह उसका हिस्सा भी मनीटाइज करने के बाद नहीं कमा पा रही है...

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की दुनिया में क्रांति लाने वाली चैटजीपीटी के साथ अलग तरह की समस्या आ गई है. इस कंवर्सेशनल एआई को बनाने वाली कंपनी ओपनएआई के सामने दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की कमाई मामूली है, जबकि उसका हर रोज का खर्च करोड़ों में है.
हर रोज कंपनी का इतना खर्च
एनालिटिक्स इंडिया मैगजीन की एक रिपोर्ट में सैम अल्टमैन की कंपनी ओपनएआई के सामने दिवालिया होने का खतरा है. रिपोर्ट के अनुसार, ओपनएआई को चैटजीपीटी को सिर्फ मेनटेन करने में जितना खर्च हो रहा है, वह उसका एक हिस्सा भी नहीं कमा पा रही है. कंपनी को चैटजीपीटी के मेंटनेंस पर हर रोज 7 लाख डॉलर यानी करीब 5.80 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.
नहीं निकल पा रहा मेंटनेंस का खर्च
ओपनएआई ने चैटजीपीटी से पैसे कमाने के हरसंभव प्रयास किए हैं. कंपनी अपने कंवर्सेशनल एआई का सब्सक्रिप्शन चला रही है. चैटजीपीटी 3.5 और चैटजीपीटी 4 को मनीटाइज किए जाने के बाद भी ओपनएआई इमने भी पैसे नहीं कमा पा रही है, जितना उसे हर रोज सिर्फ मेंटनेंस पर खर्च करना पड़ रहा है.
नहीं टिक पाई शुरुआती हाइप
चैटजीपीटी इस साल सबसे ज्यादा चर्चा बटोरने वाला प्रोडक्ट है. चैटजीपीटी के आने के बाद ऐसा आलम हुआ कि इसने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी और चर्चाओं का केंद्र बन गया. हाल ऐसा हुआ कि तमाम बहसों के केंद्र में चैटजीपीटी और एआई ने जगह ले ली. इस हाइप से चैटजीपीटी को शुरुआत में यूजर्स जोड़ने में भी मदद मिली, जिससे उसकी कमाई बढ़ी, लेकिन यह हाइप टिकाऊ नहीं साबित हुआ. पिछले कुछ महीनों के दौरान चैटजीपीटी के यूजर्स तेजी से कम हुए.
कम हो रहे हैं चैटजीपीटी के यूजर
सिमिलर वेब के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2023 में चैटजीपीटी के यूजर्स की संख्या में 12 फीसदी की गिरावट आई. जून 2023 में चैटजीपीटी का यूजर बेस 1.7 अरब था, जो जुलाई में कम होकर 1.5 बिलियन पर आ गया. इस आंकड़े में वे सभी सूजर्स शामिल हैं, जो चैटजीपीटी की वेबसाइट पर विजिट कर रहे हैं. ओपनआई की कमाई के मूल स्रोत वैसे यूजर हैं, जो ओपनएआई के एपीआई को यूज कर रहे हैं. इनकी संख्या कुल यूजर्स की तुलना में बहुत कम है.
इन कारणों से हो रहा नुकसान
चैटजीपीटी और ओपनएआई की सबसे बड़ी मुश्किल है कि अभी के समय में कई कंवर्सेशनल एआई उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से यूजर्स का काम हो जा रहा है, लेकिन उनके लिए यूजर्स को सब्सक्रिप्शन लेने की जरूरत नहीं है. चैटजीपीटी को तगड़ा नुकसान गूगल बार्ड से हुआ है, जिसका यूजर इंटरफेस भी आसान बताया जा रहा है.
तेजी से खत्म हो रहे हैं संसाधन
खर्च की तुलना में कमाई नहीं होने पर ओपनएआई के पास मौजूद फाइनेंशियल रिसॉर्सेज तेजी से खत्म हो रहे हैं. एनालिटिक्स इंडिया के आकलन के अनुसार, अगर यही हाल रहा तो ओपनएआई 2024 के अंत तक दिवालिया हो जाएगी.
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