Electric Vehicle: आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर आपको सस्ते और प्राथमिकता के आधार पर बैंकों से ऑटो लोन मिलेगा. दरअसल सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता के आधार पर लोन देने की तैयारी की जा रही है. नीति आयोग ने बाकी सेक्टर्स के समान इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को भी प्राथमिक सेक्टर में शामिल की सिफारिश आरबीआई से की है. दरअसल नीति आयोग की इन कोशिशों के का मकसद है कि  इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी के लिए आसानी से कम ब्याज दर पर लोन मिल सके. 


मौजूदा समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी के लिए बाकी गाड़ियों के लोन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. बैंकों की तरफ से इस दिशा में पहल की है, लेकिन एनबीएफसी की तरफ से इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी पर कोई लोन नहीं दिया जा रहा है. जबकि सामान्य वाहनों की खरीद पर दिए जाने वाले लोन में एनबीएफसी की हिस्सेदारी 50 फीसद से अधिक है. 


नीति आयोग विश्व बैंक के साथ मिलकर 30 करोड़ डॉलर का जोखिम फंड बनाने जा रहा है जिससे इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़े लोन के भुगतान में देरी पर बैंक और एनबीएफसी को मदद दी जा सके. इस स्कीम की वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों को दिए जाने वाले लोन की लागत 10-12 फीसद तक कम हो जाएगी. इस फंड की वजह से इलेक्ट्रिक वाहनों खऱीदने के लिए बैंक और एनबीएफसी  के लिए रास्ता साफ हो सकेगा. 


नीति आयोग ने अपनी सिफारिश में इलेक्ट्रिक गाड़ी खऱीदने वाले कस्टमर्स के साथ इससे जुड़े कारोबार को भी प्राथमिकता के आधार पर लोन देने के लिए कहा है. नीति आयोग के मुताबिक वर्ष 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर को 40,000 करोड़ रुपए के लोन की जरूरत का अनुमान है, जबकि वर्ष 2030 तक इस सेक्टर को 3.7 लाख करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी. नीति आयोग का मानना है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया, तीन पहिया या चार पहिया वाहनों की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि खरीदारों को कितनी आसानी से लोन उपलब्ध होता है. लोन को प्राथमिक सेक्टर में शामिल करने के साथ इसकी अवधि, ब्याज दर व अन्य शर्तों तय करनी होगी. 


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