नई दिल्ली: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आज आखिरी तारीख है, अगर आपने अभी तक अपना टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है तो आज जल्द से जल्द इसे कर लें. पिछवे वित्तीय वर्ष तक जुर्माने का प्रावधान नहीं था लेकिन नए नियम के मुताबिक आखिरी तारीख के बाद इनकम टैक्स फाइल करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.


इनकम टैक्स एक्ट में जोड़े गए नए एक्शन 234F के तहत तय तिथि के बाद और 31 दिसंबर से पहले रिटर्न भरने पर 5000 जुर्माने के तौर पर देने होंगे. इतना ही नहीं एक जनवरी के बाद रिटर्न फाइल करने वाले वालों पर 10000 रुपये जुर्माना देना होगा. लेकिन अगर इनकम 5 लाख से कम है तो जुर्माना 1000 से कम रहेगा.


इस बार आपको इनकम टैक्स 2017-18 के फाइनेंशियल इयर के लिए भरना होगा, जबकि असेसमेंट इयर 2018-19 होगा. आप इनकम टैक्स ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से फाइल कर सकते हैं. इनकम टैक्स गलत न फाइल हो या उसमें देरी न हो इसके लिए आपको पूरे ज़रूरी दस्तावेज जैसे पैन कार्ड या फॉर्म नंबर 16 अपने साथ रखने चाहिए.


केरल के लिए बढ़ाई गई तारीख, 15 सितंबर तक भर सकते हैं रिटर्न
भीषण बाढ़ की त्रासदी झेल रहे केरल के लिए इनकम टैक्स भरने की आखिरी तारीख में रियायत दी गई है. आयकर विभाग के मुताबिक केरल के लोग 31 अगस्त के बजाए 15 सितंबर तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं.


जानें, इनकम टैक्स जमा करने से जुड़ी हर एक बारीकी


स्टेप- 1 आयकर विभाग की वेबसाइट incometaxindiaefilling.gov.in पर लॉगिन करें और कॉम्लायंस टैब पर क्लिक करें.

स्टेप- 2 नॉन फिलर सूचना को कॉम्लायंस टैब के अंदर जाकर देखा जा सकता है.

स्टेप- 3 ऑनलाइन रिस्पॉन्स जमा करें

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर लॉगिन कैसे करें

स्टेप- 1 incometaxindiaefilling.gov.in. इस लिंक पर जाएं.

स्टेप- 2
खुद को रजिस्टर करने के लिए "रजिस्टर योरसेल्फ" विकल्प पर क्लिक करें.

स्टेप- 3
अगर पहले से ही पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं तो लॉगिन टू ई-फाइलिंग पर क्लिक करें. ‘View and Submit Compliance’ टैब पर क्लिक करने के बाद यूजर को "फिलिंग ऑफ इनकम टैक्स रिटर्न" भरना होता है. इसके बाद नीचे स्क्रीन खुलती है जिसमें दो विकल्प होते हैं. यहां टैक्सपेयर्स एसेसमेंट इयर की ऐसी जानकारियां भी प्राप्त कर सकते हैं, जिसके लिए उन्होंने टैक्स जमा नहीं कराया है और इसकी सूचना आयकर विभाग को पहुंची है.

1. आयकर जमा करा दिया जा चुका है.
2. आयकर नहीं जमा कराया गया है.

यदि टैक्सपेयर्स पहले विकल्प आयकर जमा करा दिया जा चुका है को चुनते हैं तो उन्हें किस माध्यम (ऑफलाइन या ऑनलाइन) में आयकर जमा कराया गया है, कब कराया गया है और एकनॉलेजमेंट नंबर इत्यादि यहां भरना पड़ता है.

पर अगर करदाता यह चुनते हैं कि उन्होंने टैक्स जमा नहीं कराया है तब उन्हें नीचे दिए गए चार विकल्पों में से एक का चुनाव करना होता है.

1. रिटर्न अंदर प्रिपरेशन
2. बिजनेस बंद हो गया है
3. टैक्सेबल इनकम नहीं
4. अन्य

अन्य का चुनाव करने की स्थिति में यूजर को कारण बताना होता है.

ऑनलाइन सारी जानकारी भरने की स्थिति में आयकर विभाग की ओर से इसकी जांच की जाती है. जानकारी के गलत नहीं होने पर केस को बंद कर दिया जाता है. टैक्सपेयर भरी गई जानकारियों को लॉगिन करके आयकर विभाग की वेबसाइट पर चैक भी कर सकते हैं. टैक्स नहीं चुकाए जाने पर इसकी सूचना विभाग आगे की कार्रवाई के लिए आगे भेज देता है.

इनकम टैक्स भरने के लिए ज़रूरी फॉर्म

फॉर्म नंबर 16: फॉर्म नंबर 16 इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय बहुत ज़रूरी होता है. फॉर्म नंबर 16 आपको एक फाइनेंशियल इयर (वित्त वर्ष) में पूरे टैक्स डिडक्शन के बारे में जानकारी देता है. ये फॉर्म एक फाइनेंशियल इयर में एक बार जारी किया जाता है. इस फॉर्म के दो भाग होते हैं. पहले भाग यानी भाग (A) में टैक्स देने वाले की पूरी जानकारियां होती हैं, जैसे पैन और टैन की जानकारी, नाम, एड्रेस.

दूसरे भाग यानी भाग (B) में इस बात की जानकारी होती है कि आयकर दाता की सैलरी कितनी है, सैलरी के अलावा दूसरे आय के स्त्रोत क्या हैं, कितनी कटौती हुई है और उस शख्स को कितना आयकर देना है.

यदि आपने एक फाइनेंशियल इयर में ही अपनी नौकरी बदली है तो आपके लिए दो फॉर्म नंबर 16 मिलेंगे, इसके बाद आपको दोनों फॉर्म्स में से कैल्कुलेट करने के बाद अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा.

फॉर्म नंबर 26AS: इस फॉर्म में उस टैक्स की जानकारी दी होती है जो या तो डिडक्ट किया गया हो या फिर डिपॉज़िट किया गया हो. इस फॉर्म को आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं. इसे डाउनलोड करने के लिए आपको अपनी डीटेल्स के साथ वेबसाइट पर लॉगइन करना होगा और फिर डाउनलोड फॉर्म 26AS करेंगे तो आपका फॉर्म डाउनलोड हो जाएगा.

टैक्स बचत का तरीके: अपने टैक्स की लाइबिलिटी कम करने के लिए आप HRA क्लेम कर सकते हैं. अधिकतर लोग किराए के घरों में रहते हैं लेकिन HRA क्लेम नहीं करते इसके चलते उन्हें अधिक टैक्स देना पड़ता है. यदि आप ज्य़ादा टैक्स देने से बचना चाहते हैं तो आप इसका उपयोग कर सकते हैं. इसके अलावा भी कई तरह के क्लेम करके आप अपने टैक्स में बचत का फायदा ले सकते हैं.


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