Cheque Bounce Law in India: वित्तीय लेन देन (Financial Transaction) में चेक का बहुत जरूरी रोल होता है. कर्ज वापस (Loan Repayment) करने से लेकर वेतन भुगतान तक जैसी चीजों में चेक का इस्तेमाल किया जाता है. बैंक चेक की प्रक्रिया को रोज निपटारा करते हैं. चेक से भुगतान करना एक आसान और बेहद सेफ तरीका है. लेकिन, आजकल इसके द्वारा भी फ्रॉड (Fraud) की कई घटनाएं सामने आने लगी है. ऐसे में चेक को भी क्रॉस चेक (Cross Cheque) करने की सलाह दी जाती है.
चेक बाउंस होने से देनदार को हो सकती है बड़ी समस्या
जिसने चेक साइन करके किसी और को जारी किया है उसे देनदार कहा जाता है. वहीं जिसे यह चेक जारी किया गया है उसे लेनदार कहते हैं. चेक बाउंस (Check Bounce) होने के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं. अगर आपके अकाउंट में पैसे नहीं है और आपने किसी को चेक जारी कर दिया तो वह चेक बाउंस हो जाएगा.
बैंक ऐसे चेक को पैसे कम होने के कारण वापस लौटा देता है. चेक बाउंस होने के बाद अगर लेनदार ने देनदार को पैसे नहीं लौटाए तो ऐसी स्थिति में लेनदार देनदार को लीगल नोटिस (Legal Notice for Cheque Bounce) भेज सकता है. नोटिस जारी होने के 15 दिनों के अंदर अगर पैसों का भुगतान नहीं किया गया तो देनदार को जेल भी हो सकती है. वहीं 15 दिनों के अंदर पैसे वापस करने पर किसी तरह का दंडनीय अपराध का केस नहीं बनता है.
3 महीने के अंदर चेक को करा सकते हैं कैश
आपको बता दें कि मजिस्ट्रेट की अदालत में नोटिस में 15 दिन के बाद भी लेनदार को उसके पैसे वापस नहीं मिलते हैं तो वह इसके लिए 1 महीने के अंदर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके बाद देनदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. यह मुकदमा Negotiable Instrument Act 1881 की धारा 138 के तहत दर्ज किया जा सकता है. इस धारा के मुताबिक चेक बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है जिसमें देनदार को 2 साल की कैद और जुर्माना वसूलने का प्रावधान है.
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