सरकार कुछ आर्थिक अपराधों को कम गंभीर अपराध की कैटेगरी में रखने पर विचार कर रही है. इनमें चेक बाउंस होने की स्थिति में जेल की सजा का प्रावधान भी शामिल है. सरकार का कहना है ‘इज ऑफ डुइंग बिजनेस’ को और बेहतर बनाने और अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम करने के लिए सरकार अब ऐसे आर्थिक अपराधों की सजा के तौर लोगों को जेल में डालने के नियम हटा सकती है. इन अपराधों पर अब सिर्फ आर्थिक दंड लग सकता है.
इस वक्त चेक बाउंस होने पर दो साल तक की जेल की सजा और चेक के वैल्यू की दोगुनी राशि तक जुर्माने का प्रावधान है. यह सजा निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत प्रावधानों के उल्लंघन पर तय की गई है. वित्तीय सेवा मंत्रालय ने 19 कानूनों के ऐसे 39 सेक्शन को हटाने पर लोगों से राय मांगी है, जिनका वास्ता कम गंभीर आर्थिक अपराधों से है.
इन आर्थिक अपराधों में है जेल की सजा
इनमें बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, आरबीआई एक्ट, इंश्योरेंस एक्ट और निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट शामिल हैं. मंत्रालय ने कहा है कि प्रक्रिया की खामियों और नियमों की हल्की अनदेखी से होने वाले इस तरह के अपराध हल्के होते हैं. इनसे न राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता है और सार्वजनिक हितों को नुकसान पहुंचता है.कई ऐसे आर्थिक अपराध हैं, जिनमें जेल की सजा का प्रावधान है. बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपोजिट स्कीम एक्ट की धारा 3 के तहत लोगों से पैसा इकट्ठा करने करने को भी अपराध की श्रेणी से हटाने की योजना बन रही है.
इंश्योरेंस एक्ट के सेक्शन 12 और कंपनी एक्ट 147 के तहत ऑडिट में डिफॉल्ट करने पर एक साल तक की जेल की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है.सरकार ने कहा है कि कानूनी प्रक्रिया में अड़चनों और अनिश्चितता की वजह से ‘ईज ऑफ डुइंग बिजनेस’ प्रभावित होता है. अदालतों में मामले फंसे होने की वजह से कारोबार प्रभावित होते हैं. इसलिए इस तरह के कम गंभीर अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान हटाए जाने चाहिए