कोलकाता: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा है कि भारत को इस समय आर्थिक वृद्धि की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है और आत्म-निर्भरता हासिल करना चाहता है, ऐसे में वृद्धि अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है. उनका यह बयान रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति के 31 मार्च से पहले नीतिगत ढांचे और मुद्रास्फीति के लक्ष्य में संशोधन से पहले आया है.


रिजर्व बैंक को सबसे पहले जून, 2016 में मुद्रास्फीति को चार फीसदी (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया था. उसके बाद से यह रिजर्व बैंक की पहली समीक्षा होगी. सुब्रमण्यन ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), पूर्वी क्षेत्र द्वारा आयोजित वर्चुअल वार्षिक क्षेत्रीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘इस समय हमारा ध्यान वृद्धि पर होना चाहिए. हमें दो विपरीत चीजों के बीच संतुलन बैठाना हो, तो हमारा झुकाव वृद्धि की ओर होना चाहिए.’’


आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पर सीईए ने कहा कि निजी क्षेत्र को ‘शुभ लाभ’ यानी ईमानदारी से मुनाफा कमाना चाहिए और मुनाफाखोरी से बचना चाहिए. उन्होंने आयुष्मान भारत के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि निजी अस्पतालों में इलाज में सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों की तुलना में 6-7 गुना खर्च करना पड़ता है. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि निजी क्षेत्र का निवेश चक्र शुरू होगा. इसको समर्थन के लिए सरकार का खर्च जरूरी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने यह शुरू कर दिया है, इससे निजी निवेश बढ़ेगा.


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