Economic Advisor: मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा- सरकारी कंपनियों ने बहुत निवेश किया, अब निजी क्षेत्र को खर्च बढ़ाने की जरूरत
चीफ इकनोमिक एडवाइजर वी.अनंथ नागेश्वरन ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CCI) के सम्मेलन में कहा कि निजी क्षेत्र को निवेश बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही बैंकों और वित्तीय संस्थान कर्ज देने को तैयार हैं.
Chief Economic Advisor V Anantha Nageswaran: केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor) वी.अनंथ नागेश्वरन (V Anantha Nageswaran) का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को मजबूत करने के लिए निजी क्षेत्र को निवेश बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पिछले दशक की तरह उसी गति से निवेश जारी रखना सरकार के लिए संभवत: ठीक नहीं होगा. केंद्र और बाकि राज्यों को मिलकर और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का संयुक्त रूप से निवेश पिछले 10 साल में 3.5 गुना बढ़कर 21.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो कि इससे पहले 6.8 लाख करोड़ रुपये था.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने क्या कहा
नागेश्वरन ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CCI) के सम्मेलन में कहा कि 10 साल में जब वित्तीय क्षेत्र की कंपनियां और बैंक अपने बही-खातों को दुरुस्त करने में लगे थे, उसी समय सरकारी कंपनियों ने मोर्चा संभाला था. साथ ही इस सदी के दूसरे दशक के दौरान आर्थिक वृद्धि को बनाए रखा. यह स्थिति मौजूदा दशक में जारी रही है. नागेश्वरन ने कहा कि यह तय करने की जरूरत है कि क्या सरकारी कंपनियों का उसी गति से निवेश को बढ़ाना जारी रखा जाए या निजी क्षेत्र को अर्थव्यवस्था में ‘पूंजी निर्माण के प्राथमिक इंजन’ के रूप में कार्य करने की अनुमति दी जाए.
कर्ज देने को तैयार बैंक
अनंथ नागेश्वरन ने कहा कि आज के समय में कॉरपोरेट का बही-खाता और लाभ मजबूत है. बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बही-खातों को दुरुस्त किया गया है. इससे वे कर्ज देने को तैयार हैं. इसीलिए सरकारी कंपनियों के लिये संभवत: यह बेहतर नहीं होगा कि वे उसी गति से निवेश आगे बनाए रखें, जैसा कि अब तक किया गया है.
7 फीसदी रहेगी विकास दर
इससे पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2022-23 में 6.8 से 7 फीसदी आर्थिक विकास दर को हासिल करने के ट्रैक पर है. वैश्विक संकट के बावजूद त्योहारों के सीजन में जबरदस्त सेल्स, पीएमआई, कर्ज की बढ़ती मांग, और शानदार ऑटो सेल्स का अर्थव्यवस्था को भरपूर फायदा मिला है. वही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.8 फीसदी के दर से विकास करने का अनुमान जताया है. जबकि आरबीआई (RBI) ने 7 फीसदी जीडीपी का अनुमान जताया है.
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