China Economy: भारत के पड़ोसी देश चीन से आ रही खबरें एक बार फिर ग्लोबल हेल्थ के मोर्चे पर नई मुसीबत की घंटी बजाती दिख रही हैं. चीन में पिछले कुछ समय से रहस्यमय निमोनिया की बीमारी तेजी से फैल रही है. शुरुआती दौर में इसे मिस्ट्री वायरस कहा जा रहा था, हालांकि अब जानकारी आ गई है कि ये एक प्रकार का निमोनिया है. चीन ही वो देश है जहां से जानलेवा कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी. कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को 21वीं सदी का ऐसा जख्म दिया था जिसके असर से आज भी कई देश उबर नहीं पाए हैं.


चीन में आर्थिक समस्याओं का सिलसिला जारी


चीन कुछ सालों पहले तक दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा पर फुल स्पीड से काम कर रहा था. साल 2019 में कोविडकाल आने के बाद से ड्रैगन की इस योजना पर पानी फिर चुका है. चीन के वित्तीय हालात अब साल 2019 के पहले जैसे मजबूत नहीं हैं और इसकी इकोनॉमी अब कई मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रही है.


अप्रैल 2023 में वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन की अर्थव्यवस्था संरचनात्मक मंदी का सामना कर रही है और यहां संभावित विकास दर में गिरावट का रुझान आ गया है. इसके पीछे देश की डेमोग्राफी में प्रतिकूल बदलाव, उत्पादन की धीमी बढ़ोतरी और ग्लोबल लोन से जुड़े चीनी सरकार के फैसले जो इंवेस्टमेंट संचालित डेवलपमेंट मॉडल के आधार पर लिए गए हैं, बड़ा कारण हैं. ये चीन की अर्थव्यवस्था के विकास में बढ़ती रुकावटों को दिखाती हैं. 


रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने दिया चीन की धीमी ग्रोथ का अनुमान 


अमेरिकी रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने 28 नवंबर 2023 को कहा है कि भारत की जीडीपी की विकास दर साल 2026 तक बढ़कर सात फीसदी तक पहुंच जाएगी जबकि चीन के लिए इसके सुस्त पड़कर 4.6 फीसदी रहने का अनुमान है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 'चाइना स्लोज इंडिया ग्रोथ' शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट में संभावना जताई है कि एशिया-पैसिफिक रीजन का ग्रोथ इंजन चीन से हटकर दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया (Southeast Asia) की तरफ ट्रांसफर हो जाएगा.


रेटिंग एजेंसी ने कहा कि साल 2024 में चीन की जीडीपी विकास दर धीमी होकर 4.6 फीसदी हो जाएगी. साल 2025 में यह 4.8 फीसदी और 2026 में 4.6 फीसदी रहेगी. इसी के साथ एसएंडपी ने ये भी कहा कि हमारा अनुमान है कि भारत को साल 2026 में 7.0 फीसदी की दर से जीडीपी ग्रोथ हासिल करते हुए देखा जाएगा.


चीन की इकॉनमी के लिए फिर एक बार खतरा


चीन में मौजूदा बीमारी की वजह से अगर कोविड संकटकाल की तरह का असर दिखा तो चीन की इकॉनमी के लिए फिर खतरा पैदा हो जाएगा. भारत के लिए भी ये कोई अच्छी स्थिति नहीं होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ भी कहें- चीन, भारत का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है. साल 2023 के अप्रैल-अक्टूबर में भारत ने चीन से 60 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात किया है. कोविड संकटकाल के बाद से चीन का एक्सपोर्ट पहले ही धीमा हुआ है और अगर ड्रैगन कंट्री फिर से किसी हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति में आई तो इसका असर भारत को होने वाली सप्लाई चेन पर देखा जाएगा, ये कहा जा सकता है.


भारत और चीन के बीच कारोबारी आंकड़े


चीन से भारत को होने वाले निर्यात और भारत के चीन से किए गए आयात के आधिकारिक आंकड़ों में असमानता देखी जा रही है. भारत की राजधानी नई दिल्ली और चीन की राजधानी बीजिंग द्वारा अलग-अलग जारी किए गए डेटा सेट के मुताबिक भारत-चीन ऑफिशियल ट्रेड डेटा में फर्क इस साल और ज्यादा बढ़ गया है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो चीन जितना निर्यात भारत को दिखा रहा है, भारत उतना आयात चीन से नहीं रिपोर्ट कर रहा है. 


चीन के आंकड़ों में साल 2023 के जनवरी से अक्टूबर तक भारत को 97.97 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट जबकि साल 2022 में इस दौरान 99.29 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट दिखाया गया है. वहीं भारत के आंकड़ों में जनवरी-अक्टूबर 2023 के दौरान 82.5 बिलियन का इंपोर्ट दिखाया गया है और साल 2022 के जनवरी-अक्टूबर में 86.54 डॉलर का इंपोर्ट बताया गया है. यानी साल 2023 के पहले 10 महीनों (अक्टूबर तक) के दौरान इन जारी आधिकारिक आंकड़ों में असामनता 20 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 15.47 बिलियन डॉलर हो गई. हालांकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में ये मिसिंग डेटा या आंकड़ों की विसंगति 12.75 बिलियन डॉलर पर थी. इंडियन एक्सप्रेस में इस डेटा का सोर्स भारत के कॉमर्स मिनिस्ट्री और चीन के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स ऑफ चाइना (GACC) को दिखाया गया है. इस खोए हुए डेटा के कारणों की विस्तार से चर्चा यहां नहीं होगी लेकिन डेटा डिस्पेरेंसी एक मुद्दा है जिसे सुलझाना जरूरी है वर्ना दोनों देशों के बीच कारोबार की असल तस्वीर सामने नहीं आ पाएगी.


2022 में भारत-चीन के बीच जमकर हुआ व्यापार


बीते साल यानी 2022 में इंडो-चाइना ट्रेड का आंकड़ा चौंकाने वाला रहा और इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार पहली बार 136 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. इससे स्पष्ट है कि भारत और चीन के बीच कूटनीतिक रिश्ते चाहे जितने तल्ख हों, कारोबार के मोर्चे पर एशिया के दो सबसे बड़े देशों के व्यापारिक हित आपस में गहरे जुड़े हुए हैं.


चीन की मुसीबत का भारत पर पड़ सकता है निगेटिव असर


चीन दुनियाभर को एक्सपोर्ट करता है और वैश्विक विकास का लगभग 40 फीसदी हिस्सा रखता है. अगर इस मौजूदा बीमारी की वजह से ड्रैगन के देश में सप्लाई चेन पर असर आया तो जाहिर है कि चीन की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा. चीन की कंपनियों का घाटा बढ़ने का मतलब है, यहां के बैंकों को कर्ज देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और उत्पादन घटने का अंदेशा है. रियल एस्टेट सेक्टर में पहले से ही कठिनाईयों से जूझ रहा चीन अगर अपनी कोर स्ट्रेंथ यानी एक्सपोर्ट पर ही ध्यान नहीं दे पाएगा तो भारत जैसे इसके बड़े कारोबारी पार्टनर को भी कच्चे माल के लिए दूसरे ऑप्शन देखने होंगे. भारत की जीडीपी के लिए ये कोई सहूलियत वाली बात नहीं होगी जिसके शानदार आंकड़े कल शाम घोषित किए गए हैं.


भारत के दूसरे तिमाही आंकड़े कल हुए घोषित


भारत की दूसरी तिमाही का जीडीपी आंकड़ा 30 नवंबर 2023 की शाम को आया है और वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी 7.6 फीसदी पर रही है. इससे पिछली तिमाही यानी अप्रैल-जून के दौरान देश का सकल घरेलू उत्पाद 7.8 फीसदी पर रहा था. साल दर साल आधार पर तुलना करें तो वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी ने 6.2 फीसदी की दर से विकास हासिल किया था. देश के जीडीपी आंकड़ों ने ग्लोबल और राष्ट्रीय सभी अनुमानों से बेहतर प्रदर्शन दिखाया है और चीन की इकोनॉमी में सुस्ती के बाद एशिया का नया वित्तीय सिरमौर भारत बन सकता है. 


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