चीन के शेयर बाजार में जबरदस्त बिकवाली का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले कई सालों से चलता आ रहा सिलसिला इस साल भी राहत के संकेत नहीं देरहा है. इस जबरदस्त और रिकॉर्ड लंबी बिकवाली में चाइनीज शेयर बाजार के निवेशकों का बुरी तरह से नुकसान हुआ है.
इतनी कम हुई चीन में लिस्टेड शेयरों की वैल्यू
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले चार साल से बदस्तूर जारी इस बिकवाली में चीन के शेयर बाजार की वैल्यू में 6 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा की गिरावट आई है. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ साल से लगातार आ रही बिकवाली में चीन के शेयर बाजार में लिस्टेड सभी कंपनियों के सम्मिलित एमकैप में 6.3 ट्रिलियन डॉलर की भारी-भरकम गिरावट आई है. इसका मतलब हुआ कि चीन के शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों की संपत्ति इस दौरान 6.3 ट्रिलियन डॉलर कम हो गई है.
भारतीय करेंसी में 500 लाख करोड़ से ज्यादा लॉस
6.3 ट्रिलियन डॉलर कितनी बड़ी रकम है, इसका अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि भारत की जीडीपी का साइज अभी 4 ट्रिलियन डॉलर से कम है. भारतीय शेयर बाजार की कुल वैल्यू अभी हाल ही में 4 ट्रिलियन डॉलर हो पाई है. देश के दोनों प्रमुख शेयर बाजारों बीएसई और एनएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों की सम्मिलित वैल्यू पिछले साल नवंबर-दिसंबर में 4-4 ट्रिलियन डॉलर हुई. वहीं भारतीय करेंसी में चीनी बाजार के निवेशकों का नुकसान करीब 524 लाख करोड़ रुपये हो जाता है.
साल 2020 से लगातार हो रहा है नुकसान
चीन के शेयर बाजार को यह नुकसान अपने ऑल-टाइम हाई की तुलना में हुआ है. चीन का शेयर बाजार 2021 की शुरुआत में अपने पीक पर पहुंचा था. उसके बाद बाजार गर्त में गिरता जा रहा है. सालाना आधार पर देखें तो साल 2020 से लगातार हर साल चीनी बाजार को नुकसान हो रहा है. मतलब लगातार चार साल चीन के बाजार को नुकसान हो चुका है. इस साल स्थिति और खराब लग रही है क्योंकि अभी नए साल के महज 3 सप्ताह बीते हैं और चीनी बाजार को अब तक में ही 11-11 फीसदी का घाटा उठाना पड़ चुका है.
अब चीन नहीं रहा एशिया का सबसे बड़ा बाजार
चीन के बाजार में इस गिरावट का असर व्यापक हो रहा है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित चीन की एसेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री हो रही है. सालों से बाजार को हो रहे नुकसान के चलते अब चीन में रिकॉर्ड संख्या में लोग म्यूचुअल फंड स्कीम से एक्जिट कर रहे हैं. वहीं मार्केट साइज के हिसाब से देखें तो 6 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा के इस नुकसान के बाद चीन ने एशिया के सबसे बड़े शेयर बाजार की हैसियत भी खो दी है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, अब जापान एक बार फिर से एशिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार बन चुका है.
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