देश में सेमीकंडक्टर के विनिर्माण को जल्दी ही बड़ा बूस्ट मिल सकता है. देश और दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने भारत में सेमीकंडक्टर बनाने वाले सरकारी लैब के पुनरुद्धार में दिलचस्पी दिखाई है. एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को इसके लिए 9 बोलियां प्राप्त हुई हैं.
सरकार को प्राप्त हुईं 9 बोलियां
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोहाली स्थित सरकारी सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (एससीएल) के कायाकल्प के लिए सरकार को 9 बोलियां प्राप्त हुई हैं. रिपोर्ट में मामले से जुड़े लोगों के हवाले से बताया गया है कि एससीएल के ओवरहॉल में भारत के टाटा समूह के अलावा इजरायल और अमेरिका की कंपनियों ने भर दिलचस्पी दिखाई है. बोली लगाने वाली कंपनियों में टावर सेमीकंडक्टर और टेक्सास इंस्ट्रुमेंट्स के नाम शामिल हैं.
भारत में सेमीकंडक्टर बनाने वाली अकेली यूनिट
मोहाली स्थित सरकारी सेमीकंडक्टर लैब 48 साल पुराना है. सरकार इसे आधुनिक बनाना चाहती है. इसके लिए सरकार ने करीब 1 बिलियन डॉलर यानी करीब 8,300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. यह अभी भारत में सेमीकंडक्टर बनाने वाली अकेली यूनिट है. मोहाली स्थित लैब में स्ट्रेटजिक व डिफेंस के मतलब के चिप बनाए जाते हैं. चंद्रयान मिशन के लिए भी चिप उसी लैब में बनाए गए थे.
देश के लिए रणनीतिक रूप से अहम
मोहाली स्थित सरकारी सेमीकंडक्टर लैब भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. लैब में पहले से रणनीतिक व रक्षा उद्देश्यों के लिए चिप बन रहे हैं और आगे भी लैब का फोकस वही रहने वाला है. ऐसे में इस लैब के साथ देश के राष्ट्रीय हित जुड़े हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार लैब के ओवरहॉल का काम किसी भारतीय कंपनी को ही देना चाहती है. ऐसा माना जा रहा है कि यह सरकारी लैब चिप का कमर्शियल प्रोडक्शन नहीं करेगा.
अत्याधुनिक चिप बनाने का लक्ष्य
मोहाली स्थित लैब की स्थापना साल 1976 में हुई थी. सेमीकंडक्टर कॉम्पलेक्स लिमिटेड की स्थापना का उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को तेज करना है. इस लैब में 180 एनएम नोड साइज वाले चिप बनाए जाते हैं. सरकार चाहती है कि लैब अत्याधुनिक चिप बनाने में सक्षम हो. इसकी शुरुआत 65 एनएम और 40 एनएम वाले चिप के साथ की जा सकती है. 180 एनएम साइज वाले चिप का इस्तेमाल काफी सीमित है.
सरकार लेकर आई है ये स्कीम
चिप यानी सेमीकंडक्टर आज के आधुनिक समय मे काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं. स्पेस मिशन से लेकर लोगों के घरों में चल रहे टेलीविजन तक और महंगी कारों से लेकर सस्ते मोबाइल फोन तक, हर जगह बड़े पैमाने पर चिप का इस्तेमाल हो रहा है. यही कारण है कि भारत सरकार देश को चिप के मामले में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रही है, जिसके लिए 10 बिलियन डॉलर की पीएलआई स्कीम यानी प्रोडक्शन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ला चुकी है.
टाटा लगा रही अपनी चिप यूनिट
चिप के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के सरकार के प्रयासों में टाटा समूह पहले ही भागीदार बन चुका है. टाटा समूह कई सालों से देश में चिप मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत करने की तैयारी में है. इसके लिए समूह गुजरात के धोलेरा में चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगा रहा है.
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