Cholesterol और Diabetes की दवाएं हो सकती हैं सस्ती, 40 फॉर्म्यूलेशन पर लगी प्राइस लिमिट
एनपीपीए ने कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज कम करने वाली दवाओं के फॉर्म्यूलेशन समेत 40 फॉर्म्यूलेशन की कीमतें तय कर दी हैं.
देश में कुछ और दवाइयों की कीमत घट सकती है. दवा कीमतों को नियंत्रित करने वाले एनपीपीए ने स्टेटिन्स, हृदय रोग और डायबिटीज समेत कुछ दवाइयों सहित 40 फॉर्म्यूलेशन की कीमतें तय कर दी है. एनपीपीए ने स्टेटिन्स ( कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने वाली दवाएं), डायबिटीज और वोगलिबोज, मेटफॉरमिन समेत कई कॉम्बिनेशन दवाओं की एमआरपी तय कर दी है. इन दवाओं की कीमत नियंत्रित किए जाने ने से दवा मैन्यूफैक्चरर्स की कमाई पर असर पड़ेगा. फॉर्म्यूलेशन की कीमतें नियंत्रित करने से सन फार्मा, जायडस हेल्थकेयर जैसी कंपनियों का रेवेन्यू प्रभावित हो सकता है. नए नियम के मुताबिक फॉर्म्यूलेशन तैयार करने वाली कंपनियों को अब इनकी कीमत एनपीपीए के बताई कीमत के आधार पर ही रखनी होगी.
प्राइस सीलिंग न मानने पर कार्रवाई
जो दवा कंपनियां सीलिंग प्राइस के नियमों को नहीं मानेंगी उनसे दवा की बढ़ी कीमत वसूली जाएगी. उनके खिलाफ दवा कीमत नियंत्रण से संबंधित कानून और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है.
फार्म्यूलेशन की कीमतें नियंत्रित करने के रेगुलटर के इस फैसले से दवा कंपनियां खुश नहीं है. दरअसल, पिछले कुछ दिनों के दौरान कोरोना संक्रमण बढ़ने की वजह से सरकार दवाओं की कीमत पर नजर रखती आ रही थी. हालांकि मैन्यूफैक्चरर्स का कहना कि दवाओं के फॉर्म्यूलेशन की कीमतों को काबू कर सरकार इस सेक्टर की संभावनाओं का कम कर रही है. ऐसे वक्त में जब भारतीय कंपनियों के पास दुनिया भर में दवाएं निर्यात करने की संभावना बढ़ी है तो सरकार को ऐसे कदम उठाने से बचना चाहिए था.
भारत जेनेरिक दवा सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश है. अमेरिकी और यूरोपीय बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की काफी मांग है. हालांकि क्वालिटी को लेकर अमेरिका में भारतीय कंपनियों पर सवाल उठते रहे हैं. वैसे इस बीच, दुनिया भर में दवाओं की सप्लाई पर पड़ रहे असर को देखते हुए भारतीय दवा कंपनियों ने इस अवसर को भुनाने की पूरी तैयारी कर रखी है.