नई दिल्लीः केंद्रीय सूचना आयोग-सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमीशन (सीआईसी) ने वित्त मंत्रालय को नोटबंदी के बाद सरकार द्वारा जुटाए गए कुल कालेधन का ब्योरा देने को कहा है. सीआईसी ने वित्त मंत्रालय को इस बारे में एक साल पहले के सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन का जवाब देने का निर्देश दिया है. मुख्य सूचना आयुक्त आर के माथुर ने हालांकि आरटीआई कानून के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय पर जुर्माना नहीं लगाया है क्योंकि उसके अधिकारियों ने आरटीआई आवेदन का जवाब देने में देरी के लिए माफी मांग ली है. माथुर ने कहा कि इस विभाग के सीपीआईओ को भविष्य में सावधानी बरतने को कहा है और भविष्य में आरटीआई कानून की समयसीमा का पालन करने को कहा है.
आरटीआई कानून के तहत केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने यदि किसी आरटीआई आवेदन का जवाब 30 दिन के भीतर नहीं दिया है, तो आयोग को उस पर जुर्माना लगाने का अधिकार है. यदि आयोग इस बात से संतुष्ट है कि इस देरी के पीछे कोई उचित वजह नहीं है या फिर किसी गलत मंशा से जवाब नहीं दिया गया है, तो वह जुर्माना लगा सकता है.
22 नवंबर, 2016 को आरटीआई कानून के तहत मांगा गया था जवाब
यह मामला खालिद मुंदापिल्ली से संबंधित है जिन्होंने 22 नवंबर, 2016 को आरटीआई कानून के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय से इस सवाल का जवाब मांगा था. इससे कुछ दिन पहले यानी आठ नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1000 और 500 के नोट बंद करने का एलान किया था. मुंदापिल्ली के आवेदन का 30 दिन में जवाब नहीं दिया गया. उसके बाद 9 जनवरी, 2017 को उन्होंने आयोग के पास पीएमओ की शिकायत की.
पीएमओ के अधिकारी ने आयोग को बताया कि उनके आवेदन को पिछले साल 25 जनवरी को जवाब के लिए राजस्व विभाग को भेज दिया गया. आयोग को बता दिया गया है कि पीएमओ द्वारा उनका मामला राजस्व विभाग के पास भेजे जाने के एक साल बाद भी उनके आरटीआई आवेदन का जवाब नहीं दिया गया है. माथुर ने कहा कि राजस्व विभाग के सीपीआईओ को आरटीआई कानून के तहत इस आदेश के 30 दिन के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया जाता है.