नई दिल्ली: उद्योग संगठन सीआईआई (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) का मानना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर बेहद बड़ा असर पड़ रहा है और सबसे अच्छी स्थिति में भी भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में ज्यादा से ज्यादा 1.5 फीसदी रह सकती है.


भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने एक रिपोर्ट ‘ए प्लान फोर इकोनॉमिक रिकवरी’ में यह अनुमान दिया गया है. संगठन ने तीन स्थितियों में वृद्धि दर का अनुमान लगाया है. उसके अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान सबसे खराब स्थिति में देश की अर्थव्यवस्था के आकार में 0.9 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है, जबकि सबसे अच्छी स्थिति में आर्थिक वृद्धि दर 1.5 फीसदी रह सकती है.


फिच रेटिंग्स ने भी घटाया भारत की जीडीपी का अनुमान
रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भी 2020-21 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 0.8 फीसदी कर दिया है. एजेंसी का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी और इसकी रोकथाम के लिये दुनिया भर में लागू लॉकडाउन के कारण अप्रत्याशित वैश्विक आर्थिक मंदी आ रही है.


सीआईआई की इस रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी माल और लोगों की आवाजाही के बाधित रहने के अनुमान हैं. यदि ऐसी स्थिति बनी रही और लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी आर्थिक गतिविधियां प्रभावित रहीं तो चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 0.6 फीसदी रह सकती है.


संगठन ने कहा कि इस स्थिति में सप्लाई चेन में व्यवधान रह सकते हैं, निवेश से संबंधित गतिविधियों में धीमा सुधार हो सकता है, कुछ समय के लिये कामगारों का अभाव रह सकता है और लोगों की आय कम होने से मांग की वृद्धि नरम रह सकती है.


सबसे अच्छी स्थिति में भी 1.5 फीसदी जीडीपी से ज्यादा नहीं
रिपोर्ट में कहा गया कि सबसे अच्छी स्थिति होगी जब लॉकडाउन की अवधि के समाप्त होने बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी से सुधार हो. ऐसी स्थिति में देश की आर्थिक वृद्धि दर 1.5 फीसदी रह सकती है.


संगठन ने कहा कि अगर परिस्थितियां बिगड़ती हैं और संक्रमण के मौजूदा हॉटस्पॉट क्षेत्रों में पाबंदियों की अवधि बढ़ायी जाती है और नये हॉटस्पॉट भी उभरकर सामने आते हैं तो ऐसे में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष में 0.9 फीसदी कम हो सकता है.


सीआईआई ने कहा कि ऐसे में तत्काल वित्तीय हस्तक्षेप करने की जरूरत है. संगठन ने 1.7 लाख करोड़ रुपये के घोषित राहत उपायों के अतिरिक्त जनधन खाता धारकों को दो लाख करोड़ रुपये तक की सहायता देने का सुझाव दिया. इसके अलावा संगठन ने बैंकों को परिचालन के लिये अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराने, एमएसएमई के लिये रिजर्व बैंक की गारंटी से युक्त कर्ज का प्रावधान करने समेत अन्य सुझाव भी दिये.


ये भी पढ़ें

भारत की वृद्धि दर इस साल घटकर 0.8 फीसदी रह जाएगी- फिच रेटिंग्स