(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर लौटने के लिये स्पष्ट नीति, विश्वसनीय लक्ष्य तय करने की जरूरत- RBI
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब कोरोना वायरस महामारी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय लक्ष्यों को पाना चुनौतीपूर्ण बन गया है.
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि सरकार को आने वाले वर्षों में राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर लौटने के लिये स्पष्ट रणनीति और विश्वसनीय लक्ष्य तय करने होंगे. रिजर्व बैंक की मंगलवार को जारी 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया है. यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब कोरोना वायरस महामारी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय लक्ष्यों को पाना चुनौतीपूर्ण बन गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 राज्यों से मिली सूचनाओं के अनुसार 2019-20 (संशोधित अनुमान) में सरकारों का राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो कि 2018-19 में 5.4 प्रतिशत पर था. इसी तरह बकाया देनदारियां भी 2019-20 (संशोधित अनुमान) में बढ़कर जीडीपी का 70.4 प्रतिशत हो गई हैं, जो 2018-19 में 67.5 प्रतिशत थीं.
वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटा और बकाया देनदारियों के अनुमानित लक्ष्य को क्रमश: जीडीपी के 5.8 प्रतिशत और 70.5 प्रतिशत पर रखा गया है. हालांकि, खातों की शुरुआती सूचनाओं के मुताबिक सभी राज्य सरकारों सहित सरकार का राजकोषीय घाटा 2019-20 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट कहती है, ‘‘इस प्रकार पिछले दो साल में राजकोषीय मोर्चे पर जो मजबूती हासिल कि गई वह 2019-20 में वापस उसी स्तर पर पहुंच गई.’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 में राजकोषीय घाटे के जो बजट लक्ष्य रखे गए हैं, कोविड-19 की वजह से उन्हें हासिल करना और भी चुनौतीपूर्ण बन गया है. रिपोर्ट कहती है कि महामारी पर अंकुश के उपायों, स्वास्थ्य ढांचे के क्षेत्र में राजकोषीय हस्तक्षेप, समाज के कमजोर तबकों को मदद तथा विभिन्न क्षेत्रों के लिए किये गये राहत उपायों की वजह से राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करना और ज्यादा मुश्किल काम हो गया है.
रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट कहती है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जो ऊंचे राजकोषीय घाटे और अधिक कर्ज की स्थिति बनी है उससे राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर वापस बाहर निकलने के लिये सरकार को स्पष्ट रणनीति तथा विश्वसनीय समयबद्ध लक्ष्य रखने होंगे.
रिजर्व बैंक ने कहा कि 2020-21 के जो भी अनुमान हैं वह मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन शुरू होने से पहले के हैं. इस दौरान आर्थिक गतिविधियों में ठहराव आने तथा महामारी से लड़ने के लिये सरकारी खर्च बढ़ने से सरकारों का राजकोषीय घाटा और ऋण बजट लक्ष्य से कहीं ऊंचा पहुंचेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में पेश आम बजट में 2020-21 में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी जीडीपी का 3.5 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा था. कोविड-19 की वजह से उत्पन्न व्यवधान के चलते राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बढ़ाया जा सकता है. 2019-20 में राजकोषीय घाटा सात साल के उच्चस्तर 4.6 प्रतिशत पर पहुंच गया था. इसकी मुख्य वजह कमजोर राजस्व प्राप्ति को होना रहा है जो कि मार्च अंत तक और घट गई.
कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए केंद्र सरकार ने लगभग 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है. रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2020-21 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक रहेगी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) 31 अगस्त को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही का आधिकारिक जीडीपी अनुमान जारी करेगा.
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