चीन से टकराव की वजह से भारतीय बाजारों में दवाइयों महंगी होने की आशंका बढ़ गई है. इन दिनों चीन से आयातित फार्मा प्रोडक्ट्स की हवाईअड्डों और बंदरगाहों से क्लियरेंस में देरी हो रही है. इस वजह से भारतीय बाजारों में दवाइयों की कमी हो रही है. दवाइयों की सप्लाई शॉर्टेज से इनके दाम में इजाफा हो सकता है.


इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल का कहना है कि कोविड-19 से लड़ने के लिए बड़ी तादाद में इन्फ्रारेड थर्मामीटर और पल्स ऑक्सिमीटर की जरूरत है. लेकिन चीन से आने वाले बल्क ड्रग्स और इस तरह के फार्मा उपकरणों की हवाईअड्डों और पोर्ट्स से क्लियरेंस में देरी हो रही है. दवाइयों के लिए रॉ मैटिरियल, एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंटरमीडिएट यानी API  के मैन्यूफैक्चरिंग बेस तक पहुंचने में देरी से उत्पादन में देरी हो रही है. इससे बाजार की सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है. सप्लाई में इस देरी का दवाइयों की कीमत पर असर पड़ सकता है.


दवाइयों की सप्लाई चेन पर पड़ रहा है असर 


फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने कहा है कस्टम अधिकारी आयातित खेप की रेंडम जांच के बजाय एक-एक कार्गो की जांच कर रहे हैं. इससे प्रोडक्ट को बाजार में पहुंचने में वक्त लग रहा है. अगर क्लियरेंस में देरी हुई तो चीन से आ रहे फार्मा प्रोडक्ट्स और दूसरे सामानों की कीमतें बढ़ना तय है. इससे कोविड-19 के खिलाफ हमारी जंग भी धीमी पड़ सकती है. काउंसिल के अधिकारियों का कहना है कि एक तरफ तो हम इज ऑफ डुइंग बिजनेस में अपनी रैंकिंग में सुधार का खूब प्रचार करते हैं. लेकिन दूसरी ओर इंस्पेक्टर और परमिट राज अब भी बना हुआ है.


कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन के शुरुआती फेज में मेडिकल दुकानों को बंद कराया गया था. कई इलाकों में लॉकडाउन की वजह से कर्मचारी दुकानों पर नहीं पहुंच पा रहे थे. इससे भी मेडिकल स्टोर नहीं खुल रहे थे. धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हुई है लेकिन सप्लाई चेन में आ रही बाधाओं की वजह से आम लोगों के लिए दवाइयां महंगी हो सकती हैं.