CLSA Report: दुनिया की जानी-मानी इंवेस्टमेंट और ब्रोकरेज फर्म CLSA ने भारत में निवेश को लेकर एक ऐसी रिपोर्ट निकाली है जो निवेशकों को खुश कर सकती है. इसमें सबसे खास बात है कि सीएलएसए ने कहा कि वो भारत से ज्यादा चीन में निवेश की अपनी एप्रोच को एक गलती मानते हैं. रिपोर्ट में सीएलएसए ने कहा है कि हमने भारत की बजाए चीन को निवेश के डेस्टिनेशन के रूप में तवज्जो देने के अपने कदम को वापस लेने का सोच लिया है. हालांकि इसके पीछे केवल भारत से आ रहे संकेत नहीं हैं बल्कि ग्लोबल परिदृश्य बदलने का भी कारण प्रमुख है.
CLSA ने अमेरिका से भविष्य में ट्रेड वॉर की ओर किया इशारा
इस समय ट्रंप 2.0 के आने की खबर के बाद से चीन के लिए स्थितियां प्रतिकूल हो रही हैं. अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद निश्चित तौर पर चीन के लिए मु्श्किलों का भंडार बढ़ने वाला है. ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि ट्रंप ने चीन से आने वाले अधिकांश चीनी एक्सपोर्ट पर 60 फीसदी टैरिफ लगाने का अंदाजा दिया है. ऐसे में चीन की तरफ से एक्सपोर्ट का घटना चीनी अर्थव्यवस्था के लिए एक झटके के समान होगा और इसके बाद चीन के एक्सपोर्ट को ड्यूटी बढ़ने का घाटा झेलना पड़ेगा.
‘Pouncing Tiger, Prevaricating Dragon’ का आखिर मतलब क्या
- CLSA ने Pouncing Tiger, Prevaricating Dragon के नाम से जो रिपोर्ट निकाली है उसमें तीन मुख्य बातों का उल्लेख किया है जैसे
- चीन-भारत पर लगने वाले टैरिफ वार में चीन के मुकाबले भारत को कम नुकसान
- अमेरिका में बॉन्ड यील्ड और फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर फैसले के बाद डॉलर की बढ़ती कीमत के चलते रुपये में निवेश को वरीयता देने से फायदा मिलेगा.
- सितंबर में चीन में राहत पैकेज की खबरों के बाद भारत के मुकाबले चीन के ओवरवेट नजरिए को बनाया गया था. हालांकि अब दो महीने के बाद पहले की ही तरह भारत पर निवेशक नजरिया ओवरवेट का है.
क्यों है भारत के लिए अच्छा फैसला
CLSA ने भारत के लिए जो अपना पॉजिटिव नजरिया निकाला है उसका साफ अर्थ है कि अब एफआईआई इंवेस्टर्स को चीन के बजाए भारत में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. सच्चे अर्थ में देखा जाए तो ये एक तरह से सीएलएसए की घर वापसी है और इसने अपनी गलती मान ली है और अपना फैसला पलट लिया है.
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