(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Unemployment Rate: ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर में कमी के चलते बढ़ी बेरोजगारी, जून में 8.45% रहा अनएम्पलॉयमेंट रेट
CMIE Data: रिसर्च फर्म का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में हमेशा जून के महीने में रोजगार के अवसर में कमी देखी जाती है क्योंकि कृषि क्षेत्र में रोजगार के मौके घट जाते हैं.
CMIE Employment Data: ग्रामीण इलाकों (Rural Areas) में एक बार बेरोजगारी दर ( Unemployment Rate) में बढ़ोतरी देखी जा रही है जिसके चलते जून महीने में बेरोजगारी दर 8 फीसदी के पार जा पहुंची है. एम्पलॉयमेंट को लेकर डेटा तैयार करने वाली निजी संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिया इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy) ने डाटा जारी किया है जिसके मुताबिक जून 2023 में बेरोजगारी दर 8.45 फीसदी पर जा पहुंची है जबकि मई में ये आंकड़ा 7.68 फीसदी पर था.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिया (CMIE) के डेटा के मुताबिक साल 2023 में ये तीसरा महीना है जब बेरोजगारी दर 8 फीसदी से ज्यादा रही है. रिसर्च फर्म का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में हमेशा जून के महीने में रोजगार के अवसर में कमी देखी जाती है क्योंकि लेबर की डिमांड घट जाती है. CMIE के मुताबिक जून महीने में शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर घटकर 7.87 फीसदी पर आ गई जबकि ग्रामीण इलाकों में दो वर्ष के उच्च स्तर 8.73 फीसदी रही है.
कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) जो ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करता है, जून के महीने में हमेशा रोजगार के मौके कृषि क्षेत्र में घट जाते हैं. मार्च - अप्रैल में रबी फसल ( Rabi Crops) की कटाई के बाद जुलाई से ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं जब मानसून के आने के बाद खरीफ फसलों ( Kharif Crops) की बुआई की शुरुआत होती है.
बहरहाल सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिया का डेटा मोदी सरकार की चिंता को बढ़ा सकता है जिसे नौ महीने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के चुनावी महासमर में उतरना है. विपक्ष वैसे ही मोदी सरकार को घटते रोजगार के अवसर और बढ़ती बेरोजगारी को लेकर घेरती रही है. एक तरफ सरकार बेहतरीन मैक्रोइकोनॉमिक डेटा को लेकर अपनी पीठ थपथपाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही. लेकिन ग्रामीण इलाकों जहां दो तिहाई जनसंख्या रहती है, वहां बेरोजगारी में बढ़ोतरी सरकार के दावों को फीका कर सकती है.
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