प्राइवेट इकोनॉमी थिंक टैंक CMIE की ओर से बेरोजगारी का डाटा शेयर किया गया है. इसके मुताबिक, मई के दौरान भारत में बेरोजगारी दर 7.7 फीसदी गिर गई है. लेबर पार्टिसिपेशन में 441.9 मिलियन की गिरावट दर्ज की गई है. CMIE की नताशा सोमैया ने कहा कि 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के बीच पिछले महीने बेरोजगारी दर 8.5 फीसदी थी. 


लेबर पार्टिसिपेशन में गिरावट के कारण ही आंकडों में बदलाव देखा जा रहा है. लेबर पार्टिसिपेशन में ​कमी को लेकर कह सकते हैं कि काम करने वाले लोगों की एंट्री लेबर मार्केट में कम हुई है. उन्होंने कहा कि अप्रैल की तुलना में मई के दौरान लेबल पार्टिसिपेशन (एलपीआर) 1.1 प्रतिशत घटकर 39.6 प्रतिशत रह गई. 


कितना घटा रोजगार का आकार 


रिपोर्ट के मुताबिक, मई में एलपीआर में इस गिरावट की उम्मीद थी, क्योंकि अप्रैल में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है, लेकिन मई महीने में केवल एक छोटा सा हिस्सा ही रोजगार हासिल कर सका था. ऐसे में मई के दौरान रोजगार की साइज 453.5 मिलियन से घटकर 441.9 मिलियन हो गई थी. 


ग्रामीण में हुई सबसे ज्यादा गिरावट 


मई 2023 में लेबर पार्टिसिपेशन में गिरावट शहरी की तुलना में ग्रामीण में काफी ज्यादा थी. उसने कहा कि शहरी भारत में, रोजगार बल 4.5 मिलियन के करीब सिकुड़ गया है. अप्रैल में शहरी श्रम बल में लगभग 147 मिलियन लोग थे, जो मई में घटकर 142.5 मिलियन हो गया. 


मई में कितने लोग थे बेरोजगार 


सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) के आंकड़ों के अनुसार, शहरी श्रम बाजार में नियोजित और साथ ही बेरोजगार लोगों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. मई में शहरी श्रम बल में 4.5 मिलियन की कमी, नौकरियों में करीब 2.4 मिलियन की गिरावट और शहरी भारत में बेरोजगारों की संख्या में 2.1 मिलियन की गिरावट है. ऐसे में शहरी कार्यबल में कुल 129.5 मिलियन लोग और लगभग 13 मिलियन बेरोजगार लोग थे. 


ग्रामीण क्षेत्रों में भी समान गिरावट 


ग्रामीण भार ने भी समान गिरावट दर्ज की है. यहां भी रोजगार और बेरोजगारी संख्या दोनों में गिरावट दर्ज की गई है. मई में ग्रामीण वर्कफोर्स पिछले महीने के 306.5 मिलियन से घटकर 299.4 मिलियन हो गया. अप्रैल में ग्रामीण भारत ने शहरी भारत की तुलना में एक प्रभावशाली रोजगार पैदा किया था. हालांकि मई में नौकरियों में कमी आई है.  


ये भी पढ़ें 


India GDP Growth: मुख्य आर्थिक सलाहकार को यकीन, 7.2 फीसदी से भी ज्यादा रह सकती है वृद्धि दर