Cochin Shipyard Limited: अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) ने 27 दिसंबर को आठ अत्याधुनिक हार्बर टग बनाने का ऑर्डर कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड को दिया है. यह सौदा 450 करोड़ रुपये में हुआ है. भारत में हार्बर टग के लिए कोचीन शिपयार्ड को मिला यह अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर है. आज इस खबर में समझें कि कोचीन शिपयार्ड क्या काम करती है.
बड़े-बड़े जहाजों को बनाने का काम करती है कंपनी
जहाज बनाने और मेंटेनेंस करने वाली कंपनी कोचीन शिपयार्ड भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसकी स्थापना 1972 में की गई. जहाज बनाने और रिपेयरिंग की इंडस्ट्री में यह कंपनी पिछले तीन दशकों में काफी तेजी से आगे बढ़ी है. यह यार्ड भारत में सबसे बड़े जहाज को बनाने या उसकी रिपेयरिंग की क्षमता रखता है.
कोचीन शिपयार्ड 1,10,000 dwt तक के जहाजों का निर्माण और 1,25,000 dwt तक के जहाजों की मरम्मत करने में सक्षम है. इस यार्ड ने भारत के दो सबसे बड़े डबल हॉल अफ्रामैक्स टैंकर बनाएं हैं. इनकी कैपिसिटी 95,000 dwt की है. DWT यानी डेडवेट टन का तात्पर्य जहाज में सामान लोडिंग की कैपिसिटी से है.
कोचीन शिपयार्ड सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम अन्य देशों के लिए जहाज बनाती है. CSL को यूरोप और मिडिल ईस्ट की कई बड़ी कंपनियों से जहाज बनाने के ऑर्डर मिले हैं. भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत 4 को बनाने का श्रेय भी इस कंपनी को जाता है.
हर तरह के जहाजों की होती है मरम्मत
CSL ने जहाज रिपेयरिंग का काम 1982 में शुरू किया. इनमें ऑयल इंडस्ट्री के जहाजों के साथ-साथ भारतीय नौसेना के जहाजों तक की मरम्मत शामिल है. जहाज रिपेयरिंग के काम में कठिन से कठिन समस्याओं को सुलझाने और तमाम बारीकियों को समझने के लिए यार्ड ने बीते सालों में अपनी कई क्षमताएं विकसित की. इतना ही नहीं, कोचीन शिपयार्ड में हर साल 100 इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स को मरीन इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग भी दी जाती है. बेहतर सर्विस के लिए दुनियाभर में कोचीन शिपयार्ड की तारीफ की जाती है.
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