कमर्शियल वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट की आशंका, 6000 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान
क्रिसिल के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कमर्शियल वाहनों की बिक्री में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 85 फीसदी की गिरावट आ सकती है.
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देश में कमर्शियल वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट की आशंका व्यक्त की गई है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष यानी 2020-21 के दौरान ट्रक, माल ढोने वाले छोटे ट्रक और टैंपों जैसे वाहनों की बिक्री में काफी गिरावट आ सकती है. दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लगे लॉकडाउन ने सामानों की आवाजाही पर गहरा असर डाला है. इसका बड़ा असर कमर्शियल वाहनों की बिक्री में दिख सकता है.
पहली तिमाही में ही 85 फीसदी की गिरावट
क्रिसिल के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कमर्शियल वाहनों की बिक्री में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 85 फीसदी की गिरावट आ सकती है. रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि मोजूदा वित्त वर्ष के दौरान कमर्शियल वाहनों की बिक्री में दस साल की सबसे ज्यादा गिरावट आ सकती है. दरअसल अप्रैल से जून की तिमाही में पूरे देश में लॉकडाउन की वजह से बिजनेस की गतिविधियां लगभग ठप रही. इस स्थिति ने कमर्शियल वाहनों की बिक्री को चोट पहुंचाई है. राज्यों में बार-बार लगाए जा रहे लॉकडाउन की वजह से भी बिजनेस गतिविधियों पर असर पड़ा है.
पहले से ही मंदी का असर
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस संक्रमण के पहले से ही कमर्शियल वाहन निर्माता ओवरलोडिंग से जुड़े नियमों और अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ती रफ्तार से परेशान थे. वित्त वर्ष 2019-20 में भी कमर्शियल वाहनों की बिक्री 29 फीसदी घट गई थी. जबकि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इन वाहनों की बिक्री 85 फीसदी गिर गई. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि बिजनेस गतिविधियों के धीमेपन की वजह से मीडियम और हैवी कमर्शियल व्हेकिल की बिक्री सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है.रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कमर्शियल व्हीकल निर्माताओं को वर्किंग कैपिटल की जरूरत पड़ सकती है. उसके लिए उन्हें और कर्ज लेना पड़ सकता है.
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