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कंपनियों के एफडी दे रहे हैं 10 फीसदी तक ब्याज, क्या आपको निवेश करना चाहिए?
कॉरपोरेट एफडी के मामले में हमेशा रेटिंग पर जोर दिया जाता है. अगर निवेश भी कर रहे हैं तो ज्यादा न करें. ऊंची क्रेडिट वाले एफडी में जोखिम कम होता है.
बैंकों के एफडी की ब्याज दरें बिल्कुल कम हो जाने से फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने की चिंताएं बढ़ गई हैं. ऐसे वक्त में जब लोग आर्थिक अनिश्चतताओं की वजह से अपना पैसा बैंकों में सुरक्षित रख रहे हैं तो ब्याज दरों का कम होना उनके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. खास कर बुजुर्गों के लिए जो सबसे ज्यादा अपना पैसा बैंक एफडी में रखते हैं.
कुछ कंपनियां दे रही हैं दस फीसदी तक का रिटर्न
इस बीच कुछ कंपनियों ने एफडी पर दस फीसदी तक के रिटर्न का ऐलान किया है. एचडीएफसी, बजाज फाइनेंस, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस और महिंद्रा एंड महिंद्रा 7 से 9.5 फीसदी तक की ब्याज का ऐलान किया है. एक-दो कंपनियों तक एफडी पर दस फीसदी तक की ब्याज दर का ऐलान कर दिया है.ऐसे में स्वाभाविक है डिपोजिटर इन कंपनियों की एफडी की ओर आकर्षित होंगे. लेकिन क्या ऊंची ब्याज दर को देख कर इनमें पैसा लगाना ठीक है.
क्रेडिट रेटिंग के आधार पर निवेश करें
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसे एफडी में पैसा लगाना जोखिम भरा हो सकता है. ऊंची ब्याज दरों वाले इस तरह की डिपोजिट स्कीम निवेश के लिए खतरा बन सकता है. लिहाजा, कॉरपोरेट एफडी के मामले में हमेशा रेटिंग पर जोर दिया जाता है. अगर निवेश भी कर रहे हैं तो ज्यादा न करें. ऊंची क्रेडिट वाले एफडी में जोखिम कम होता है. एएए रेटिंग वाली स्कीम का मतलब है कि उसमें डिफॉल्ट का जोखिम न के बराबर या बहुत कम है. रेटिंग घटने के साथ जोखिम बढ़ता है. निवेश से पहले प्री-क्लोजर ऑप्शन, पेनाल्टी, बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड इत्यादि जरूर देख लेना चाहिए.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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