CCI Report: अमेजन-फ्लिपकार्ट से सैमसंग और शाओमी की मिलीभगत, कस्टमर्स को लग रहा चूना
Competition Commission of India: सीसीआई ने कहा है कि इन ईकॉमर्स कंपनियों और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों के बीच एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट हैं. ऐसे समझौते फ्री एंड फेयर कम्पटीशन को खत्म कर देते हैं.
Competition Commission of India: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने अपनी रिपोर्ट में सैमसंग (Samsung), शाओमी (Xiaomi), अमेजन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) के बीच मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं. सीसीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन कंपनियों के गुपचुप समझौते से कस्टमर्स को परेशानी हो रही है. ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म अमेजन और फ्लिपकार्ट सीसीआई के प्रतिस्पर्धा कानूनों को खिलाफ काम कर रहे हैं. ये ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म (E-commerce Platform) कुछ खास कंपनियों को ही बढ़ावा देते हैं.
अमेजन और फ्लिपकार्ट के साथ किए हुए हैं गुप्त समझौते
रायटर्स कली रिपोर्ट के अनुसार, कम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (Competition Commission of India) ने कहा है कि हमारी जांच में पता चला कि सैमसंग और शाओमी जैसी कई कंपनियों ने अमेजन और वालमार्ट (Walmart) के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट के साथ गुप्त समझौते किए हुए हैं. अमेजन और फ्लिपकार्ट इन कंपनियों के प्रोडक्ट एक्सक्लूसिव लॉन्च करते हैं. ये ऐसी कंपनियों को ही प्राथमिकता देते हैं. उनकी लिस्टिंग और डिस्काउंट के जरिए अन्य कंपनियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है.
इन सभी कंपनियों पर प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन का आरोप
सीसीआई ने अपनी 1,027 पेज की रिपोर्ट में कहा है कि अमेजन ने सैमसंग, शाओमी, रियलमी (Realme), मोटोरोला (Motorola) और वनप्लस (OnePlus) के फोन एक्सक्लूसिव लॉन्च किए हैं. इन्होंने प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन किया है. उधर, फ्लिपकार्ट के बारे में 1,696 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने सैमसंग, शाओमी, मोटोरोला, वीवो (Vivo), लेनेवो (Lenovo) और रियलमी के साथ ऐसे ही समझौते कर कानून के खिलाफ काम किया है. सैमसंग और शाओमी पर लगे यह आरोप गंभीर हैं और उनकी मुसीबतें बढ़ा सकते हैं.
क्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट फ्री एंड फेयर कम्पटीशन के खिलाफ
अमेजन और फ्लिपकार्ट की रिपोर्ट में सीसीआई के एडीशनल डायरेक्टर जनरल जीवी शिवा प्रसाद (GV Siva Prasad) ने लिखा है कि एक्सक्लूसिव कॉन्ट्रैक्ट बिजनेस में अभिशाप की तरह हैं. यह पूरी तरह से कंज्यूमर के हितों के खिलाफ हैं. इससे न सिर्फ कंज्यूमर को नुकसान पहुंचता है बल्कि फ्री एंड फेयर कम्पटीशन भी मार्केट में नहीं रहा जाता है.
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