अर्थव्यवस्था कोरोना संक्रमण के पहले से ही मांग की कमी से जूझ रही थी लेकिन इस कोविड-19 के बाद निवेशकों और उपभेक्ताओं दोनों का विश्वास डिग गया है. आरबीआई ने भी इसकी पुष्टि की है. आरबीआई ने कहा है कि इसके सर्वे के मुताबिक कंज्यूमर कॉन्फिडेंस गिरता दिखाई दे रहा है. सर्वे के मुताबिक मई में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स 115 पर था लेकिन मई में घट कर यह 97.9 पर आ गया. यह मार्च, 2014 के बाद सबसे निचला स्तर है. इस इंडेक्स में आगे भी बेहतरी की गुंजाइश नहीं दिखती. फ्यूचर सर्वे में यह 85.6 से घट कर 63.7 पर आता दिख रहा है.


सर्वे में कहा गया है कि 2020-21 के दौरान वास्तविक जीडीपी में 1.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है. हालांकि वित्त वर्ष 2021-22 में इकनॉमी में रफ्तार लौट सकती है. इस साल यह 7.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ोतरी दर्ज कर सकती है.


बेरोजगारी की वजह से उपभोक्ता बाजार संकट में 


देश में लंबे लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो गई है. इससे उद्योगों में अफरातफरी का माहौल है. कंपनियों ने बड़े पैमाने पर लोगो की छंटनियां की हैं तो प्रवासी मजदूरों के घर लौटने से उनके सामने श्रमिकों की कमी की समस्या पैदा हो गई है. बेरोजगारी दर में इजाफे की वजह से उपभोक्ता खर्च नहीं कर रहे हैं. कंज्यूमर कॉन्फिडेंस में गिरावट इसी का नतीजा है. सरकार ने अर्थव्यवस्था में मांग पैदा करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है. लेकिन इसका असर अभी इतनी जल्दी होने की उम्मीद नही हैं. एमएसएमई सेक्टर के लिए तीन लाख करोड़ पैकेज का भी असर होने में देर लगेगी.


मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी यानी CMIE के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मई में बेरोजगारी दर 23.48 फीसदी पर पहुंच गई थी. अप्रैल में बेरोजगारी की दर 23.52 फीसदी थी. एमएसएमई की परेशानियों को देखते हुए आने वाले दिनों में बेरोजगारी और बढ़ सकती है.