नई दिल्लीः तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान नेकहा कि पेट्रोल पम्प पर 13 जनवरी के बाद भी कार्ड के जरिए भुगतान होता रहेगा. सरकार ने आज साफ किया कि आम ग्राहकों और पेट्रोल पम्प डीलरों को डेबिट या क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर सर्विस चार्ज का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा. साथ ही संकेत दिए कि इस चार्ज को बैंक और तेल कंपनियां साझा तौर पर बोझ उठा सकती है. सर्विस चार्ज को तकनीकी भाषा में मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर कहा जाता है और इसकी दर 0.25 फीसदी से शुरु होकर 2 फीसदी तक जाती है. तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पेट्रोल पम्प पर 13 जनवरी के बाद भी कार्ड के जरिए भुगतान होता रहेगा.
पेट्रोल-डीजल खरीदने में डेबिट या क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर लगने वाले सर्विस चार्ज पर उठे विवाद को सुलझाने के लिए सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली और तेल मंत्री धर्मेंट प्रधान की बैठकों के साथ कोशिशें शुरु गयी. दरअसल रविवार की शाम ये विवाद अचानक गरमा गया जब देश भर के पेट्रोल पम्प डीलर्स ने ऐलान कर दिया कि वो कार्ड के के जरिए भुगतान नहीं लेंगे्. उनका कहना था कि बैंक उनसे कार्ड से भुगतान पर लगने वाले सर्विस चार्ज देने को कह रहे हैं. डीलर की मानें तो उन्हे इतना कमीशन नहीं मिलता कि वो कार्ड भुगतान पर सर्विस चार्ज का बोझ खुद उठा सकें. हालांकि देर रात तेल मंत्री के दखल के बाद बैंकों ने सर्विस चार्ज पेट्रोल पम्प मालिकों से वसूलने का फैसला 13 जनवरी तक टाल दिया जिसके बाद पेट्रोल पम्प पर कार्ड से भुगतान जारी रखने का ऐलान हुआ. अब वित्त मंत्री अरुण जेटली कह रहे हैं कि बैंक और तेल मार्केटिंग कंपनियां आप में बैठकर इसका हल निकालेंगी.
सरकारी अनुमान के मुताबिक नवंबर के महीने में हर दिन औसतन 720 करोड़ रुपये के पेट्रोल-डीजल खरीदने के लिए भुगतान कार्ड के जरिए किया गया इस हिसाब से यदि डेबिट और क्रेडिट मिलाकर औसत सर्विस चार्ज 0.5 फीसदी लगाया जाए तो साल भर में 1314 करोड़ रुपये की रकम बनेगी.
सरकार ये भी अनुमान लगा रही है कि आने वाले दिनों में कम से कम पेट्रोल-डीजल की 70 फीसदी तक यानी 1260 करोड़ रुपये तक की खरीद कार्ड के जरिए होने लगेगी. ऐसे में क्रेडिट और डेबिट कार्ड मिलाकर यदि औसत सर्विस चार्ज 0.5 फीसदी हो तो सालाना आधार पर रकम बनेगी करीब 2300 करोड़ रुपये.
फिलहाल सरकार संकेत दे रही है कि इस रकम का बोझ साझा तौर पर बैंक और तेल मार्केटिंग कंपनियों को उठाना होगा. तेल मंत्री धर्मेंद प्रधान देश की जनता को भरोसा दिलाने चाहते हैं कि सर्विस चार्ज उनपर नहीं लादा जाएगा. इसका बोझ पेट्रोल पम्प मालिकों पर भी नहीं पड़ेगा. उन्होंने ये भी कहा कि सर्विस चार्ज का मसला व्यावसायिक है जिसे बैंक और तेल कंपनियां आपस में बैठकर सुलझा लेंगी.
दरअसल, सरकार ने डेबिट कार्ड पर 2000 रुपये तक की खरीदारी के लिए 31 दिसम्बर तक बैंकों को सर्विस चार्ज नहीं लेने की अपील की थी जिसे बैंकों ने मान लिया. इसके बाद रिजर्व बैंक ने सर्कुलर जारी कर कहा कि पहली जनवरी से 31 मार्च के बीच डेबिट कार्ड के जरिए 1000 रुपये की खरीदारी पर ज्यादा से ज्यादा 0.25 फीसदी यानी ढा़ई रुपये का सर्विस चार्ज लगेगा. वहीं 1000 रुपये से 2000 रुपये तक की खरीदारी पर ये चार्ज ज्यादा से ज्यादा 0.5 फीसदी की दर तक वसूली जा सकती है. यानी ज्यादा से ज्यादा चार्ज होगा 10 रुपये. 2000 रुपये से ज्यादा की खरीद के लिए पहले की तरह 1 फीसदी की दर से सर्विस चार्ज लगेगा. यानी 2500 रुपये की खरीद पर 25 रुपये का सर्विस चार्ज. क्रेडिट कार्ड के लिए सर्विस चार्ज की रिजर्व बैंक ने कोई सीमा तय नहीं की है. इस पर औसतन 1 से लेकर 2 और कुछ मामलों में 2.5 फीसदी तक सर्विस चार्ज लगता है. यानी 1000 रुपये की खरीद पर 10 रुपये का सर्विस चार्ज.
डिजिटल लेन-देन के बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहनों का ऐलान करते वक्त सरकार ने कहा था कि सर्विस चार्ज का बोझ ग्राहकों के बजाए संबंधित विभाग की सरकारी कंपनियां और मंत्रालय उठाएंगे. दूसरी ओर 31 दिसम्बर के बाद डिजिटल लेन-देन के प्रोत्साहनों को लेकर कोई और सर्कुलर जारी नहीं किया गया. इसी के मद्देनजर बैंकों ने पेट्रोल पम्प मालिकों से सर्विस चार्ज का भुगतान करने को कहा. बैंकों का कहना है कि चूंकि कार्ड पेमेंट उनके लिए एक व्यवसाय का एक हिस्सा है और वो जो सेवाएं देते हैं उन पर सर्विस चार्ज हमेशा के लिए माफ नहीं कर सकते.
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि नवंबर के महीने में देश में डेबिट कार्ड की गिनती 80 करोड़ के करीब थी जबकि क्रेडिट कार्ड की संख्या 9.8 करोड़. दोनों ही कार्ड को मिला ले तो पॉस मशीन के जरिए 57909 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ. अब इन पर यदि औसतन 0.5 फीसदी का सर्विस चार्ज बनता है तो बैंक और कार्ड कंपनियों की एक महीने की कमाई करीब 290 करोड़ रुपये होगी. 1 फीसदी औसत चार्ज होने पर कमाई होगी 579 करोड़ रुपये.
आम तौर पर बड़े रिटेलर्स या शो रुम अपने मार्जिन में सर्विस चार्ज का बोझ उठाने की स्थिति में होते हैं, इसीलिए वहां पर आपको अलग से सर्विस चार्ज नहीं देना होता. लेकिन ये स्थिति हर जगह नहीं हो सकती. दूसरी ओर एक लीटर पेट्रोल पर दिल्ली में 2 रुपये 60 पैसे और डीजल पर 1 रुपये 65 पैसे का कमीशन मिलता है. डीलर्स का कहना है कि इसी कमीशन से उन्हें तमाम तरह के खर्चों के साथ अगर सर्विस चार्ज भी देना पड़े तो उनके पास कुछ बचेगा, उल्टे घर से कुछ लगाना होगा. इशी वजह से उन्होंने बैंकों के निर्देश का विरोध किया. फिलहाल, सरकार ये भरोसा दिला रही है इस मामले में 13 तारीख के पहले कोई ना कोई समाधान निकल आएगा और ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी.