Rice Price Hike: देश में चावल के बढ़ते दामों पर केंद्र सरकार सख्त हो गई है. सरकार ने चावल उद्योग को कीमतों पर लगाम लगाने का निर्देश जारी किया. साथ ही चेतावनी दी कि यदि इसमें मुनाफाखोरी की गई तो सरकार की तरफ से सख्त कार्रवाई की जाएगी. देश में पिछले कुछ समय से गैर-बासमती चावल के दाम तेजी से बढ़ते जा रहे हैं जिसे लेकर सरकार चिंतित थी.
29 रुपये में चावल दे रही सरकार
सोमवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने नई दिल्ली में चावल प्रसंस्करण उद्योग के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इसमें उन्होंने गैर बासमती चावल के दामों को उचित स्तर पर लाने के उपाय करने को कहा था. सरकार ने अपने निर्देश में कहा कि देश में अच्छी क्वालिटी के चावलों का स्टॉक मौजूद है. इसे ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (OMSS) के तहत ट्रेडर्स और प्रोसेसर्स को 29 रुपये किलो में दिया जा रहा है. मगर, खुले बाजार में इसे 43 से 50 रुपये प्रति किलो के रेट से बेचा जा रहा है. इस वजह से सरकार को यह निर्देश जारी करना पड़ा.
जुलाई में लगा दी थी निर्यात पर रोक
सरकार ने जुलाई में नॉन बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी. साथ ही 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दी थी. सरकार की कोशिश थी कि घरेलू बाजार में चावल की कमी नहीं हो पाए. इसके बावजूद बाजार में चावल की कीमतें बढ़ती जा रही थीं. इसके बाद अक्टूबर में भी चावल का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 950 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था.
कीमत में बढ़ोतरी को गंभीरता से ले उद्योग
बैठक के दौरान उद्योग संघों को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और तुरंत चावल की कीमतों में कमी लाने के प्रयास करें. खरीफ की अच्छी फसल, भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास पर्याप्त भंडार और चावल निर्यात पर बैन होने के बाद भी गैर-बासमती चावल के दाम बढ़ रहे हैं. चावल की वार्षिक मुद्रास्फीति दर दो साल से 12 फीसदी के आसपास चल रही है. हमें सस्ती कीमतों का लाभ जनता तक पहुंचाना चाहिए.
स्टॉकिस्ट और रिटेलर्स बढ़ा रहे दाम
इसके अलावा एमआरपी और रिटेल प्राइस में काफी अंतर है. उपभोक्ताओं के लिए इसे कम करना बेहद जरूरी है. स्टॉकिस्ट और रिटेलर्स दाम बढ़ा रहे हैं. दिल्ली ग्रेन मर्चेंट असोसिएशन (DGMA) के प्रेसिडेंट नरेश गुप्ता ने कहा कि सरकार को रिटेल कीमतों पर नजर रखनी चाहिए. उन्होंने सरकार से चावल के दाम 2700 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की.
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