भारत में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन अब कई रूटों पर चलाई जा रही है. साल 2024 तक वंदे भारत एक्सप्रेस की 200 ट्रेनों के चलाने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं स्लीपर वंदे भारत ट्रेन को भी पिछले साल तक शुरू करने का टारगेट रखा गया है, लेकिन अब स्लीपर ट्रेन को तैयार करने में एक रोड़ा नजर आ रहा है. 


इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 40000 करोड़ रुपये की आपूर्ति और रखरखाव अनुबंध जीतने वाले कंसोर्टियम के रूसी और इंडियन पार्टनर के बीच एक विवाद बढ़ गया है. रूस की रोलिंग स्टॉक मैन्युफैक्चर टीएमएच ग्रुप के एक टॉप एग्जिक्यूटिव ने बताया कि कंपनी ने भारत के टॉप अधिकारियों से संपर्क किया है. 


रूसी कंपनी का कहना है कि वेंचर पार्टनर रेल विकास निगम लिमिटेड अब कोचों की आपूर्ति के लिए बने संयुक्त कारोबार में अधिक हिस्सेदारी के लिए दबाव बना रही है. उन्होंने कहा कि यह दो संस्थाओं के बीच डील का उल्लंघन है. 


बात दें कि TMH-RNVL ने संयुक्त रूप से 200 वंदे भारत एक्सप्रेस में से 120 ट्रेनों को तैयार करने की बोली जीती थी. हालांकि भारतीय रेलवे को कंसोर्टियम के साथ आपूर्ति के लिए कंट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करना बाकी है. ईटी ने बताया कि कंसोर्टियम पार्टनर्स के बीच अनबन की वजह से कॉन्ट्रैक्ट साइन करने में देरी हो रही है. 


डील के मुताबिक, बोली जमा करने से पहले टीएमएच समूह की सहायक कंपनी मेट्रोवैगनमैश (एमडब्ल्यूएम) के पास जेवी में 70 फीसदी हिस्सेदारी थी, जबकि रूसी ट्रेन नियंत्रण प्रणाली निर्माता एलईएस के पास 5 फीसदी और आरवीएनएल के पास शेष 25 फीसदी हिस्सेदारी थी. टीएमएच ग्रुप के भारत में व्यापार विकास के प्रमुख सर्गेई मेदवेदेव के मुताबिक, आरवीएनएल अब 69 फीसदी हिस्सेदारी चाहता है.  


गौरतलब है कि भारतीय रेलवे ने साल 2022 के दिसंबर में वंदे भारत ट्रेन सेट के लिए बोलियां आमंत्रित की थी और उन्हें मार्च में खोला गया था. 


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