नई दिल्लीः संजय किर्लोस्कर की अगुवाई वाली किर्लोस्कर ब्रदर्स लि. (केबीएल) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि उनके भाइयों अतुल और राहुल के तहत आने वाली चार कंपनियां उसकी 130 साल की विरासत को ‘छीनने’ और जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है. हालांकि, दूसरे पक्ष ने इन आरोपों को नकार दिया है.


परिवार में विवाद गहराने के बीच केबीएल ने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को लिखे पत्र में दावा किया है कि किर्लोस्कर आयल इंजंस (केओईएल), किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज लि. (केआईएल), किर्लोस्कर न्यूमैटिक कंपनी (केपीसीएल) और किर्लोस्कर फेरस इंडस्ट्रीज लि. (केएफआईएल) ने केबीएल की विरासत को छीनने या दबाने का प्रयास किया है.


पत्र में कहा गया है कि इसके अलावा उन्होंने केबीएल की विरासत को अपनी विरासत के रूप में दिखाने का प्रयास किया है. इस बारे में संपर्क करने पर किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज लि. के प्रवक्ता ने कहा कि केबीएल के सेबी को पत्र में कई प्रकार की तथ्यात्मक गलतियां हैं.


प्रवक्ता ने कहा कि पूरी विज्ञप्ति में केबीएल का जिक्र नहीं किया गया है. किर्लोस्कर ब्रदर्स की विरासत को छीनने का प्रयास तो दूर की बात है. इससे पहले 16 जुलाई को अतुल और राहुल किर्लोस्कर की अगुवाई वाली पांच कंपनियों ने अपने संबंधित कारोबार के लिए नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी.


इन कंपनियों के लिए नए ब्रांड पहचान और रंगों की घोषणा की गई थी और साथ नया किर्लोस्कर का लोगो भी अपनाया गया था. इस घोषणा के समय कहा गया था कि ये रंग 130 बरस पुराने नाम की विरासत को दर्शाते हैं.


केबीएल ने इसी पर आपत्ति जताते हुए सेबी को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि केओईएल, केआईएल, केपीसीएल और केएफआईएल की स्थापना क्रमश: 2009, 1978, 1974 और 1991 में हुई है और उनकी 130 साल पुरानी विरासत नहीं है.


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