कोरोना संक्रमण को काबू करने के लिए राज्यों में लगाए जा रहे लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा फलों और सब्जियों की सप्लाई पर पड़ा है. इसकी वजह से मंडियों में कामकाज कम हो गया है. पाबंदियों की वजह के किसान अपनी फसल लेकर एपीएमसी की मंडियों में नहीं पहुंच पा रहे हैं. देश भर में इस वक्त एपीएमसी की 60 फीसदी मंडियां बंद हैं. इससे किसानों को नुकसान हो रहा है. दूसरी ओर सप्लाई ठीक ढंग से न होने से अब ग्राहकों को महंगे फल और सब्जियां खरीदने पड़ रही हैं. 


लॉकडाउन का असर


कोरोना को काबू करने के लिए लगाए जा रहे लॉकडाउन की वजह से मंडियों में बहुत कम कारोबार हो रहा है. किसान अपनी फसल लेकर स्थानीय मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. फरवरी-मार्च में फलों और सब्जियों की अच्छी आवक थी और इस वजह से ये सस्ते थे. लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद हालात बिल्कुल बदल गए. संक्रमण की वजह से कई राज्यों में लॉकडाउन लगाना पड़ा है. खास कर महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में लॉकडाउन  से सब्जियों और फलों की सप्लाई पर काफी ज्यादा असर पड़ा है. 


खाद्य तेल, दाल समेत खाने-पीने की दूसरी जरूरी चीजें भी महंगी 


लॉकडाउन की वजह से सप्लाई पर पड़ने वाला असर खाने-पीने की चीजों की महंगाई पर दिख रहा है. खास कर खाद्य तेल और दालों की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. खाने के तेल के दाम पिछले एक साल में 30 से 60 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. क्रूड पाम तेल का भाव रिकॉर्ड ऊंचे लेवल पर है. सोयाबीन, सोया तेल की कीमतें नई ऊंचाई पर हैं. भारत में बड़े पैमाने पर पाम ऑयल का आयात होता है. सबसे ज्यादा कंज्यूमर सरसों तेल की ऊंची कीमतों से परेशान है. देश में खाने बनाने में सरसों तेल का काफी इस्तेमाल होता है. 


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