कोरोना संक्रमण की पहली लहर में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई को भारी झटका लगा था. इन उद्योगों के बड़े पैमाने पर बंद से भारी संख्या में कामगारों के पास काम नहीं रह गया था. स्टार्ट-अप्स की स्थिति भी ऐसी ही थी. संक्रमण के पहले दौर में फंड की कमी की वजह से बड़ी तादाद में स्टार्ट-अप्स भी बंद हुए थे. सरकार ने उस दौरान एमएसएमई के लिए पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें बैंक से सस्ते लोन का प्रावधान था. लेकिन संक्रमण के दूसरे दौर में भी ऐसे ही हालात हैं.


59 फीसदी स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई के कारोबार के लिए फंड नहीं


लोकल सर्किल सर्वे एजेंसी के मुताबिक कोरोना की वजह से 59 फीसदी स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई के कारोबार के लिए फंड नहीं है. ये अपना ऑपरेशन बंद कर सकते हैं. लगभग 88 फीसदी छोटे कारोबारियों ने सरकार से बेहतर राहत पैकेज की गुहार लगाई है. जो एमएसएमई और छोटे कारोबारी, स्टील, तांबा आदि के प्रोडक्ट सार्वजनिक उपक्रमों को सप्लाई करते हैं उन्होंने बेहतर कीमत वाले कॉन्ट्रैक्ट की मांग की है. लगभग 92 फीसदी छोटे कारोबारी चाहते हैं कि सरकारी और पीएसयू कॉन्ट्रेक्ट को पूरा करने के लिए उन्हें तीन से छह महीने का समय विस्तार चाहिए ताकि वे लिक्विडेटेड डैमेज को कंट्रोल कर सकें.


49 फीसदी एमएसएमई वेतन में करेंगे कटौती 


इस सर्वे में 37 फीसदी छोटे कारोबारियों ने कहा है कि वे फिक्स्ड ऑपरेशनल कॉस्ट, विज्ञापन, मार्केटिंग की लागतों में कटौती करेंगे और फिलहाल कोई नई पहल नहीं करेंगे.  जबकि 49 फीसदी एमएसएमई और छोटे कारोबारियों का कहना था कि वे कर्मचारियों के वेतन और दूसरी लागतों में कमी करेंगे. 13 फीसदी ने कहा कि फिक्स्ड ऑपरेशनल लागत को कम करने की कोशिश करेंगे. हालांकि 18 फीसदी ने कहा कि उन्हें लागत में कटौती की जरूरत नहीं है. 33 फीसदी ने कहा कि उनके पास एक महीने से भी कम का फंड है. 


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